हाटगम्हरिया: सूखने की कगार पर देवनदी, 11260 परिवारों के सामने जल संकट

9.34 करोड़ की जलापूर्ति योजना का नहीं मिल रहा लाभ, नदी के गड्ढों से बुझ रही प्यास

By Prabhat Khabar News Desk | May 26, 2024 11:45 PM
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प्रतिनिशि, हाटगम्हरिया.

देवनदी का जलस्तर कम होन से मोगरा जलापूर्ति योजना बंद है. इससे जगन्नाथपुर प्रखंड के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचने वाली मोगरा पेयजलापूर्ति योजना सिर्फ नाम की योजना रह गयी है. इसके बंद होने से क्षेत्र के लगभग 11260 से अधिक परिवार प्रभावित हैं. गौरतलब है कि यह योजना पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक रही है. इसे पूरा होने के लिए लगभग 7 से 8 वर्ष लगे. बावजूद इसके पूर्व मुख्यमंत्री श्री कोड़ा के इस ड्रीम प्रोजेक्ट की ओर किसी जनप्रतिनिधि या किसी अधिकारी का ध्यान नहीं गया. स्थानीय सांसद व विधायक ने संयुक्त रूप से चोटोसाई (मोंगरा का टोला) मधुबासा में वर्ष 2014 को इसके लिए शिलान्यास किया था. 2014 में इस योजना की लागत राशि 6 करोड़ थी. जिसे बाद में तकनीकी स्वीकृति के बाद इसकी राशि 9.34 करोड़ की गयी.

11260 घरों में पहुंचा नल, लेकिन नहीं आया जल

योजना के तहत घरों में नल तो लगे, लेकिन जल अब तक नहीं पहुंच पाया है. इस जलापूर्ति योजना का लाभ जगन्नाथपुर, मोंगरा, बलियाडीह व कंसलापोस के लगभग 11260 से अधिक लोगों के घरों में पाइप लाइन के माध्यम से पानी की सुविधा मिलनी थी. इन दिनों भीषण गर्मी से लोग परेशान हैं. अपनी प्यास बुझाने के लिए किसी तरह ग्रामीण नदी किनारे चुआं खोदकर प्यास बुझा रहे हैं. सूखने के कगार पर नदीयोजना के फ्लॉप होने के सबसे मुख्य कारण है देख-रेख व रख-रखाव का अभाव है. विभागीय अधिकारी व कर्मचारी उदासीन हैं. देवनदी स्थित जलापूर्ति से संचालित होने वाली मोगरा पेयजल आपूर्ति योजना के लिए नदी के सूखने से जलस्तर कम होना बताया जा रहा है. नदी का जलस्तर 90 फ़ीसदी सूख चुका है. नदी में बरसाती जल संग्रहण के लिए हेतु चेक डैम का निर्माण किया गया था, लेकिन वह भी सही नहीं रहा. बरसाती जल का उचित ठहराव नहीं हो पा रहा है, नतीजतन यह नौबत आ गयी है.

नदी में पानी कम होने से बागवानी व खेती पर भी असर

देवनदी के तटीय गांव किसानों का गांव है. जैसे-जैसे देवनदी का जलस्तर नीचे गया, वैसे यहां के लोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. इस योजना के अवरुद्ध होने से पेयजल के साथ-साथ नदी के किनारे बसे हजारों एकड़ खेती योग्य भूमि पर भी बागवानी ठीक से नहीं हो पा रही है. मोंगरा देवनदी एक पर्यटन स्थल के रूप में भी जानी जाती है.

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