चाईबासा : फाइलेरिया से बचाव को जिले में 9000 सैंपल की होगी जांच
जिला समन्वय समिति ने की बैठक में हुआ निर्णय
प्रतिनिधि, चाईबासा
समाहरणालय के सभागार में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर गुरुवार को जिला समन्वय समिति की बैठक सिविल सर्जन डॉ साहिर पाल की अध्यक्षता में हुई. कार्यक्रम का संचालन जिला बीवीडी कंसल्टेंट व जिला परियोजना पदाधिकारी पिरामल फाउंडेशन ने संयुक्त रूप से किया गया. बताया गया कि 1 जून से 15 जून तक सभी प्रखंडों में चिह्नित रेंडम साइट व सेंटिनल साइट के माध्यम से 300- 300 सैंपल 20 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों का संग्रह किया जायेगा. जिले भर से कुल 9000 सैंपल एकत्रित किये जायेंगे. इसमें माइक्रो फाइलेरिया के कीटाणु का संक्रमण दर एक प्रतिशत से अधिक होने की स्थिति में आगामी अगस्त माह में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का निर्धारण कर क्रियान्वयन किया जायेगा. बताया वर्तमान में जिले में लगभग 5100 लोग फाइलेरिया से ग्रसित हैं. फाइलेरिया की बीमारी लाइलाज है, इसके संक्रमण को रोकने के लिए समयानुसार फाइलेरिया उन्मूलन से संबंधित गतिविधि का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया जा सके, जिसको विभिन्न विभागों के समन्वय से ही लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है. इसलिए सभी बीडीओ अपने प्रखंडों के चिह्नित साइट पर पंचायतीराज प्रतिनिधि, मानकी, मुंडा, ग्रामीण स्तर समाजसेवी संस्था एवं अन्य सहयोगी कर्मचारी के सहयोग से ही लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है.फाइलेरिया नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज के दर्जे का : सीएस
सिविल सर्जन डॉ पाल ने बताया कि फाइलेरिया नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज के दर्जे का है. जिसे गंभीरता से न लेने का परिणाम ही आज वर्तमान में जिले में आंकड़े पाए जा रहे हैं. सभी को सहयोगात्मक रूप से कार्य करने की आवश्यकता है, जिससे आगामी वर्षों में जिले को फाइलेरिया मुक्त का लक्ष्य प्राप्त करते हुए फाइलेरिया मुक्त जिला घोषित किया जा सके. बैठक में विभिन्न विभागों के जिला स्तरीय पदाधिकारी, सभी प्रखंडों के बीडीओ प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी आदि मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है