Jharkhand news, Chakradharpur news : चक्रधरपुर (पश्चिमी सिंहभूम) : गुवा गोली कांड शहादत दिवस (8 सितंबर) की पूर्व संध्या पर चक्रधरपुर के विधायक सुखराम उरांव (Sukhram Oraon) ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि झारखंड के स्कूलों में गुवा गोली कांड के इतिहास को पाठ्य पुस्तकों में शामिल कराया जायेगा. झारखंड अलग राज्य के लिए लड़ी गयी लड़ाईयां और बलिदानों को भी पाठ्यक्रम में जगह दी जायेगी. इसके लिए निकट भविष्य में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, गुरुजी शिबू सोरेन और शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो समेत सभी मंत्री एवं विधायकों से मिल कर पाठ्यक्रम में आंदोलन, आंदोलनकारियों, शहीदों और उनके परिवार वालों को स्थान देने की अपील की जायेगी.
श्री उरांव ने कहा कि गुवा गोलीकांड एक दर्दनाक घटना है, जिसे सुन कर ही रेंगटे खड़े हो जाते हैं. निहत्थे आदिवासियों को पंक्ति में खड़ा कर बर्बतापूर्ण तरीके से गोली मार दिया जाना बुजदिली थी. झारखंड अलग राज्य आंदोलन के दौरान अनेकों लड़ाईयां लड़ी गयीं और हजारों लोग शहीद हुए. हजारों ने बलिदान दिये. तब जाकर झारखंड अलग राज्य का निर्माण हो सका.
कोल्हान की धरती में बंदगांव के शहीद लाल सिंह मुंडा, नकटी के शहीद मछुआ गागराई, सेरेंगदा गोलीकांड के शहीद सोमनाथ लोमगा, लोपा बुढ़ एवं अन्य, बिला गोलीकांड के शहीद दिउ कोड़ा, ईचाहातु के शहीद महेश्वर जामुदा, इलीगाड़ा तांतनगर गोली कांड के शहीद, उटूटुवा गोलीकांड के शहीद टिकुट लागुरी, शहीद देवेंद्र मांझी, सेरेंगसिया घाटी के शहीद पोटो हो एवं उनके शहीद साथी, खरसावां गोली कांड के हजारों शहीद, शहीद निर्मल महतो, शहीद सिदो- कान्हु, शहीद शेख भिखारी एवं शहीद बिरसा मुंडा समेत पूरे राज्य के शहीदों को इतिहास में जगह दी जायेगी.
विधायक श्री उरांव ने कहा कि मेरा मानना है कि झारखंड अलग राज्य आंदोलन की लंबी और संघर्षपूर्ण लड़ाई को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने से आने वाली नयी पढ़ियों को बलिदान और सम्मानजनक इतिहास की जानकारी मिलेगी. इसलिए पूरे आंदोलन के इतिहास पर पुस्तक लिखी जानी चाहिए और दस्तावेजीकरण कर एवं डॉक्युमेंट्री बना कर नयी पढ़ियों को धरोहर के रूप में पेश करना जरूरी है.
इसकी शुरुआत गुवा गोली कांड, सेरेंगसिया घाटी और खरसावां गोलीकांड के इतिहास की डॉक्यूमेंट्री का निर्माण से कराना है. यह काम राज्य सरकार की सहमति से ही मुमकिन है. इसलिए सरकार के सभी मंत्री और विधायकों की रायशुमारी के बाद पुस्तक लिखने का काम शुरू होगा या फिर आंदोलन पर जो किताबें लिखी जा चुकी हैं, उसका अध्ययन कर पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जायेगा.
Posted By : Samir Ranjan.