प्रतिनिधि,जैंतगढ़इस बार रजो पर्व पर शराब माफियाओं का राज रहा. सूत्रों के अनुसार, आम दिनों के मुक़ाबले चार से छह गुना अधिक देसी दारु का उत्पादन हुआ. दो दिनों से ग्रामीण देसी दारु के नशे में धुत हैं. जैंतगढ़ आस पास देसी शराब का गढ़ माना जाता है. जैंतगढ़ क्षेत्र देसी शराब का बहुत बड़ा बाजार है. यहां का कुल उत्पाद का 60 से 70 फीसदी दारु ओडिशा में खपाया जाता है. जगन्नाथपुर, हाटगम्हरिया, मझगांव, नोवामुंडी और कुमारडुंगी प्रखंड के बड़े क्षेत्र तक जैंतगढ़ से देसी दारु की आपूर्ति की जाती है. जैंतगढ़ में लगभग हर दूसरे गांव में महुवा चुलाई करके देसी दारु बनायी जाती है. अधिक उत्पादन के लिए यूरिया और दूसरे केमिकल का उपयोग किया जाता है. जिससे उत्पादन तो अधिक होता है, पर शराबियों के शरीर में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
बांसकांटा, राजाबासा व खुंटियापदा सबसे बड़ा अड्डा
सूत्रों के अनुसार, जैंतगढ़ आसपास बांसकांटा, राजाबासा और खुंटियापदा देसी दारु का सबसे बड़ा अड्डा है. अब तक दर्जनों बार इन गावों में आबकारी और पुलिस की छापा मारी हुई है. दर्जनों लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज हुआ. पर इस से कोई प्रभाव नहीं पड़ता. धंधा दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है. रजो पर्व से लेकर रथ यात्रा तक दारु की खपत डबल से अधिक रहेगी. माफियाओं के बल्ले-बल्ले है.अभी पंद्रह दिनों तक की एडवांस बुकिंग चल रही है. शराब माफिया अहले सुबह वैतरणी नदी पैदल पार कर शराब को ओडिशा के अड्डों तक पहुंचा रहे हैं. वाहनों की ट्यूब में शराब भरकर भेजी जा रही है.कोट
हर पर्व त्याेहार या चुनाव के समय क्षेत्र में तीन से चार गुना अधिक उत्पादन होता है.आबकारी विभाग और प्रशासन समूल धंधे को नष्ट करे.अन्यथा गरीब किसान मजदूर शराब में अपनी दिनभर की गाढ़ी कमाई गंवाने के साथ असमय काल की गाल में समाते रहेंगे. पर्व के बाद अवैध दारु के विरुद्ध महिला समिति फिर से एक बार हल्ला बोल करेंगी.-प्रमिला पात्रो, महिला नेत्री
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