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‘शेर’ पर सवार होकर विधानसभा पहुंचे रुद्र प्रताप षाड़ंगी ने बड़े-बड़ों की जमानत जब्त करवाई

Jharkhand Chunav Flash Back: सिंहभूम के निर्भीक और ईमानदार नेता रुद्र प्रताप षाड़ंगी ने झामुमो, कांग्रेस के दिग्गजों की बार-बार जमानत जब्त करवाई. ऐसे थे रुद्र.

By Mithilesh Jha | November 11, 2024 7:04 AM
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Jharkhand Chunav Flash Back: झारखंड की धरती ने एक से बढ़कर एक नेता दिया. किसी ने संयुक्त बिहार के झारखंड प्रांत में जन्म लिया, तो कोई कहीं और से माइग्रेट होकर यहां पहुंचा. क्षेत्र की राजनीति में इन लोगों ने एक नया आयाम स्थापित किया. झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 से पहले ऐसे ही कुछ नेताओं के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. सबसे पहले बात रुद्र प्रताप षाड़ंगी की. रुद्रप्रताप षाड़ंगी पहली बार ‘शेर’ पर सवार होकर विधानसभा पहुंचे थे. उनकी पहचान ‘छापामार’ मंत्री की बन गई थी. राजनीति के रुद्र के बचपन से विधायक और मंत्री बनने तक का कैसा रहा सफर. आइए, जानते हैं.

राजा के बुलावे पर उत्तर प्रदेश से चक्रधरपुर आया था षाड़ंगी परिवार

सिंहभूम (अब पश्चिमी सिंहभूम) जिले के चक्रधरपुर के राजा नरपत सिंह के बुलावे पर उत्तर प्रदेश का एक परिवार चक्रधरपुर आ गया. इस परिवार का एक बच्चा बेहद नटखट था. परिवार की इतनी कमाई नहीं थी कि बच्चे को पढ़ा पाते. सो पुरानी बस्ती के एक भले व्यक्ति, जो मंडल जी के नाम से विख्यात थे, ने बच्चे की पढ़ाई के खर्च का इंतजाम करवा दिया.

सातवीं से आगे नहीं पढ़ पाए रुद्र प्रताप षाड़ंगी

मंडल जी के कहने पर ही एक परिवार ने बच्चे की पढ़ाई का खर्च देना शुरू कर दिया. एक दिन खेल-खेल में यह बच्चा किसी से झगड़ बैठा और उसकी पढ़ाई वहीं रुक गयी. दरअसल, जिस बच्चे से उसकी लड़ाई हुई, वह बच्चा उसी घर से था, जिसके घर से पढ़ाई के पैसे आते थे. इसकी वजह से यह बच्चा सातवीं से आगे नहीं पढ़ पाया. लेकिन, बाद में यह बालक झारखंड का (तत्कालीन बिहार) बेहद लोकप्रिय और निर्भीक नेता बना, जिसका नाम है- रुद्र प्रताप षाड़ंगी.

1962 में निर्दलीय चुनाव लड़े और दिग्गजों को दे दी पटखनी

पहली बार 1962 में शेर छाप पर निर्दलीय चुनाव लड़े और बड़े-बड़े राजनीतिक दिग्गजों को पटखनी देकर चक्रधरपुर के विधायक बन गये. उस वक्त चक्रधरपुर सीट जनजातियों के लिए आरक्षित नहीं थी. उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि 1967 में वह सरायकेला से जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़े और विधायक निर्वाचित हुए. सरायकेला विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ रहे उनके सभी प्रतिद्वंद्वियों की जमानत जब्त हो गयी.

‘छापामार मंत्री’ के रूप में मशहूर हुए रुद्र प्रताप षाड़ंगी

महामाया बाबू के मंत्रिमंडल में उन्हें सिंचाई मंत्री बनाया गया. विभाग ठीक से काम कर रहा है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए वह अपने विभाग में तो छापेमारी करते ही थे, किसी अन्य विभाग में भी छापा मारने पहुंच जाते थे. इसलिए वह छापामार मंत्री के रूप में मशहूर हो गये थे.

वीजी गोपाल, शैलेंद्र महतो, निर्मल महतो जैसे दिग्गजों को हराया

सिंहभूम क्षेत्र में रुद्र प्रताप षाड़ंगी का कद इतना बड़ा हो गया था कि उन्होंने कांग्रेस के वीजी गोपाल, झामुमो के शैलेंद्र महतो, निर्मल महतो, सीपीएम के टिकम राय मांझी जैसे नेताओं को हराया. उनकी जमानत जब्त करवा दी. इमरजेंसी के दौरान रुद्र बाबू 19 माह तक जेल में रहे. 12 महीने चाईबासा जेल में और 7 महीने फुलवारी शरीफ जेल में.

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1980 में पहली बार जमशेदपुर लोकसभा सीट पर जीती भाजपा

वर्ष 1977 में वह जमशेदपुर से लोकसभा चुनाव लड़े और जीते भी. वर्ष 1980 में भी वह यहां से लोकसभा का चुनाव जीते. इस बार उनकी जीत ऐतिहासिक थी. वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने केवल 2 सीटें जीती थीं. उसमें एक जमशेदपुर की सीट थी, जिसे रुद्र प्रताप षाड़ंगी ने जीता था. 9 सितंबर 2013 को उनका निधन हो गया.

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