सीट बदलकर विधानसभा चुनाव जीतने वाले 3 दिग्गज नेता सुखदेव माझी, आरपी षाड़ंगी और देवेंद्र माझी
Jharkhand Politics: पश्चिमी सिंहभूम जिले के 3 दिग्गज नेताओं ने सीट बदलकर भी विधानसभा का चुनाव जीता था. इनके नाम हैं- सुखदेव माझी, आरपी षाड़ंगी और देवेंद्र माझी.
Jharkhand Politics|चक्रधरपुर (पश्चिमी सिंहभूम), शीन अनवर : पश्चिमी सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर के कई दिग्गज नेता अपना चुनाव क्षेत्र बदल कर विधानसभा और लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन दूसरे निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले सभी नेता जीत दर्ज नहीं कर सके हैं. केवल 3 दिग्गज ऐसे हैं, जो निर्वाचन क्षेत्र बदलकर भी विधायक बने हैं. इनमें चक्रधरपुर के पहले विधायक सुखदेव माझी, जमशेदपुर से सांसद रहे रुद्र प्रताप षाड़ंगी और सिंहभूम की सांसद जोबा माझी के पति देवेंद्र माझी शामिल हैं.
चक्रधरपुर-चाईबासा से जीते थे सुखदेव माझी
1951-52 में जब पहला चुनाव हुआ था, तो झारखंड पार्टी प्रत्याशी के तौर पर सुखदेव माझी चक्रधरपुर से विधायक चुन कर बिहार विधानसभा में गये थे. लेकिन 1957 में जब बिहार विधानसभा के लिए दूसरी बार चुनाव हुआ, तो झारखंड पार्टी ने सुखदेव माझी को चाईबासा विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित किया. सुखदेव माझी चाईबासा सीट जीते और दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनने का गौरव हासिल किया था.
सीकेपी सीट आरक्षित होने पर सरायकेला से जीते थे आरपी षाड़ंगी
वर्ष 1962 में रुद्र प्रताप षाड़ंगी जनसंघ प्रत्याशी के तौर पर चक्रधरपुर से विधायक चुने गये थे. इस चुनाव में चक्रधरपुर को सामान्य सीट घोषित किया गया था. रुद्र प्रताप षाड़ंगी का चुनाव चिह्न शेर छाप था. वे निडर व बहादुर नेता के तौर पर जाने जाते थे, इसलिए उसकी तुलना शेर से की जाती थी. इसलिए उनका चुनाव चिह्न काफी पॉपुलर हुआ था. वर्ष 1967 में जब चक्रधरपुर सीट आरक्षित हो गयी, तो आरपी षाड़ंगी सरायकेला से चुनाव लड़े और जीते.
चक्रधरपुर के बाद मनोहरपुर से विधायक बने थे देवेंद्र माझी
1980 के विस चुनाव में देवेंद्र माझी चक्रधरपुर विस से झामुमो के टिकट पर विधायक चुने गये थे. यह वह समय था, जब जंगल आंदोलन चरम पर था. उनकी राजनीति पार्टी की नहीं, अपनी नीति पर चलती थी, इसलिए झामुमो के शीर्ष नेताओं से उनकी नहीं बनी. नतीजतन 1985 के विधानसभा चुनाव में देवेंद्र माझी झामुमो को छोड़ कर निर्दलीय मनोहरपुर सीट से चुनाव लड़े और जीते. बाद में देवेंद्र माझी ने झामुमो (डेमोक्रेटिक) पार्टी बना ली.
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