कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने को लेकर किए गए लॉकडाउन से ट्रेन, बस और यातायात के अन्य साधन पूरी तरह बंद होने से जीवन के अंतिम समय में परिजन अपनों को नहीं देख पा रहे हैं. ऐसा ही एक मामला पश्चिमी सिंहभूम जिले के कुमारडुंगी प्रखण्ड अंतर्गत छोटारायकमल बादुपी गाँव के युवक गुरुदेव हेम्ब्रम के साथ हुआ है.
31 वर्षीय गुरुदेव अपने परिवार से दूर बेंगलुरू में अपने छोटे भाई सुखदेव हेम्ब्रम के साथ रहकर बिल्डिंग निर्माण कार्य में श्रमिक का काम करता था. वह वहां पर 22 मार्च से बीमार हो गया और 27 मार्च को उसकी मौत हो गयी. छोटे भाई सुखदेव हेम्ब्रम के मुताबिक गुरुदेव को 22 तारीख से बुखार था जिसका मेडिसिन चला रहा था. इस दौरान 27 तारीख को उसे उल्टी-दस्त भी हो रहा था.
हालत बिगड़ने पर भाई उसे अस्पताल लेकर भर्ती कराया जहाँ ईलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी. सुखदेव हेम्ब्रम के मुताबिक उसे डॉक्टरों ने बताया कि गुरुदेव का किडनी फेल हो गया था. गुरुदेव की मौत के बाद लॉकडाउन के कारण उसके परिजन भी वहां उसे अंतिम दर्शन करने भी नहीं पहुँच पाए. गांव में परिवार के साथ उसकी पत्नी हैं. इसके अलावा उसकी दो बेटीयां हैं जो 4 और ढाई साल की हैं. लॉकडाउन की वजह से उसकी पत्नी और बच्चे भी उसके अंतिम दर्शन नहीं में शामिल पाए. भाई सुखदेव हेम्ब्रम ने उसका बेंगलुर में अंतिम संस्कार किया.
गौरतलब है कि लॉक डाउन की वजह से झारखंड के कई मजदूर जो बाहर काम करते हैं वो नहीं आ पा रहे हैं, हालांकि झारखंड सरकार इसके लिए एक अलग सहायता केंद्र का नंबर जारी किया है ताकि बाहर में कामगार मजदूर जो फंसे हैं उसे मदद मिल सके.