Chaibasa News : प्रकृति से सुख-समृद्धि की कामना का पर्व है करम

केयू : जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में करम परब पर एक दिवसीय संगोष्ठी आयोजित

By Prabhat Khabar News Desk | September 13, 2024 11:31 PM

प्रतिनिधि, चाईबासा

कोल्हान विश्वविद्यालय (केयू) के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग की ओर से शुक्रवार को टीआरएल सभागार में विभागाध्यक्ष डॉ सुनील मुर्मू की अध्यक्षता में करम पर्व के पूर्व दिवस पर एक दिवसीय संगोष्ठी आयोजित हुई. जिसमें आमंत्रित वक्ता केकेएम कॉलेज पाकुड़ के साइकोलॉजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ शकुंतला मुंडा, विभिन्न जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा के जानकार मोतीलाल मुंडा व कुरमाली संस्कृति के संरक्षक, लोक कवि एवं गायक उमाकांत महतो शामिल थे.

जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सुनील मुर्मू ने कहा कि करम परब आदिवासियों व मूलवासियों के सौहार्द का पर्व है. करम पर्व को आदिवासियों व मूलवासियों में कई जगहों पर अलग-अलग तरीके से मनाये जाने की परंपरा है. उन्होंने संताल आदिवासी के द्वारा मनाये जाने वाले करम परब पर कहा कि यह प्रकृति से सुख-समृद्धि की कामना का पर्व है.

करम प्रकृति के प्रति आस्था जताने का पर्व : डॉ शकुंतला

वहीं, डॉ. शकुंतला ने कहा कि करम प्रकृति के प्रति आस्था जताने का पर्व है. मोतीलाल मुंडा ने कथा के माध्यम से करम पर्व के महत्व को बताया. लोक कवि उमाकांत महतो ने विधि-विधान को स्पष्ट किया. उन्होंने करम पर्व में गाये जाने वाले जावा गीतों को मनमोहक तरीके से गाते हुए अपने वक्तव्य को स्पष्ट किया. कार्यक्रम के मध्य व अंत में कुरमाली, संताली व हो भाषा के छात्र-छात्राओं ने मनमोहक करम नृत्य प्रस्तुत किया, जिससे मंच पर उपस्थित वक्तागण व उपस्थित अन्य प्रोफेसर भी मांदर की थाप पर जमकर नृत्य किये.

पारंपरिक वस्त्र व साल के पौधे से हुए सम्मानित

कार्यक्रम में सभी वक्ताओं को पारंपरिक वस्त्र व साल के पौधे देकर सम्मानित किया गया. हो भाषा के डॉ बसंत चाकी ने कहा कि प्रकृति की सभी चीजों का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है. मौके पर कुरमाली के शिक्षक सुभाष चंद्र महतो, संताली के शिक्षक निसोन हेम्ब्रम आदि मौजूद थे.

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