West singhbhum news : ऑनलाइन शिक्षा कारगर नहीं, 70 फीसदी बच्चे वंचित
ऑनलाइन शिक्षा बच्चोंं की परेशानी
नोवामुंडी : लॉकडाउन के कारण मजबूरी बना ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था बच्चों के लिए कारगर साबित नहीं हो रही है. इसका कारण सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों के पास मोबाइल का नहीं होना व सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में नेटवर्क की समस्या होना है.
शिक्षक ऑनलाइन पाठ्य सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं, जो सफेद हाथी साबित हो रहा है. ऑनलाइन डिजिटल क्लास का लाभ नहीं मिल रहा है. बीइइओ के अनुसार सिर्फ 30 फीसदी बच्चों को इसका लाभ मिल रहा है.
ऑनलाइन परीक्षा बनी सिरदर्द
जैतंगढ़. कोरोना संकट के कारण इन दिनों स्कूल बंद है, लेकिन फीस वसूली के लिए छात्रों को ऑनलाइन पठन-पाठन और परीक्षा ली जा रही है. इसके लाभ मात्र 30 फीसदी बच्चों को मिल रहा है. एक ही समय में परीक्षा की टाइमिंग होने से कई छात्र परीक्षा देने से वंचित हो जा रहे हैं. कई अभिभावक के दो-तीन बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं. उनके पास स्मार्ट फोन एक ही है.
ऐसे में मां – बाप किस बच्चे को फोन दें. दूसरी ओर सुबह 9 बजे से साढ़े दस तक ऑब्जेक्टिव फिर 11 बजे से 12:30 बजे तक सब्जेक्टिव परीक्षा हो रही है. नर्सरी सेक्शन में 4 से 6 बजे तक परीक्षा हो रही है. अभिभावक रेखा देवी ने कहा कि सुबह की परीक्षा में नेट पैक खत्म हो जा रहा है.
वहीं ट्राई अगेन का समस्या है. सर्वर डाउन रहता है. कुल मिलाकर बच्चों के लिए ऑनलाइन परीक्षा और पठन पाठन सिर दर्द बन गया है. रेणु कुमारी ने कहा कि पब्लिक स्कूल फीस के लिए बच्चों को सुबह से शाम तक टास्क दे देते हैं. बच्चों को 6 से 8 घंटा मोबाइल से चिपके रहना पड़ता है. फिर होम वर्क करने को 3 से 4 घंटे चाहिए. अशोक मिश्रा ने कहा कि बच्चे ओवरलोड के कारण डिप्रेशन में जा रहे हैं.
posted by : sameer oraon