Chaibasa News : मरीज को समय पर नहीं मिला इलाज, मौत

परिजनों का आरोप- जगन्नाथपुर सीएचसी में समय पर नहीं मिलते चिकित्सक, ओपीडी बंद रहता हैजिप सदस्य ने मौत के लिए सिविल सर्जन को बताया जिम्मेदार

By Prabhat Khabar News Desk | September 7, 2024 11:43 PM
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जागन्नाथपुर. सांस लेने में तकलीफ हो रही थी.

प्रतिनिधि, जगन्नाथपुर

जगन्नाथपुर अस्पताल में समय पर इलाज नहीं मिलने से दामू सिंकू (45) नामक मरीज की मौत हो गयी. मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. मरीज के परिजनों ने बताया कि जब हमलोगों ने मरीज को अस्पताल लाया, तो बताया गया कि डॉक्टर नहीं हैं. ओपीडी बंद है. यहां इलाज नहीं हो पायेगा. वहीं मरीज के अस्पताल आने की सूचना मिलने पर डॉ जयश्री किरण आपातकाल में आयी और उस मरीज का इलाज करने लगी. इसी क्रम में मरीज की मौत हो गयी.

मृतक के भाई ने आरोप लगाया कि ओपीडी में समय पर डॉक्टर रहते, तो मेरा भाई का सही समय पर इलाज हो जाता, तो उसकी जान भी बच सकती थी. उसी समय जिप सदस्य मानसिंह तिरिया भी अपनी पत्नी का इलाज कराने अस्पताल पहुंचे. उन्हें भी वही जबाव मिला कि यहां डॉक्टर नहीं है. डॉक्टर छुट्टी पर चला गया है. प्रभारी का तबादला रात में ही कर दिया गया है. इस मामले को लेकर मानसिंह तिरिया ने सिविल सर्जन सुशांत माझी को दूरभाष पर बताया कि यहां डॉक्टर के अभाव में मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है. इससे लोग परेशान हैं. इलाज के अभाव में एक युवक की मौत हो गयी है. उन्होंने सीएस से कहा कि डॉक्टर की व्यवस्था किये बिना तबादला कर दिया गया है. यदि तुरंत व्यवस्था में सुधार नहीं की गयी, तो आंदोलन किया जायेगा.

डॉक्टर के अभाव में नहीं खुला ओपीडी

इधर मरीज की मौत से नाराज जिप सदस्य ने कहा कि सिविल सर्जन सुशांत माझी ने प्रशासनिक दृष्टिकोण का हवाला देते हुए डॉ जयश्री किरण की प्रतिनियुक्ति को रद्द कर दिया गया. साथ ही उन्हें रातोंरात जगन्नाथपुर से हटा दिया गया. जबकि जगन्नाथपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित चिकित्सक डॉ हेस्सा छुट्टी पर हैं. वह डेढ़ वर्ष से नदारद हैं. वह टाटा स्टील जोड़ा में कार्य कर रहे हैं, जबकि इस बात की शिकायत सिविल सर्जन से की गयी है, लेकिन विभाग चुप बैठा रहा. दूसरी ओर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ जयश्री किरण को अचानक जगन्नाथपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभार से हटाने के बाद से सीएचसी डॉक्टर विहीन हो गया है. इस वजह से शनिवार को ओपीडी पूर्ण रूप से बंद रहा. इससे कई मरीजों को इलाज कराये बगैर लौट जाना पड़ा.

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