प्रतिनिधि, जैंतगढ़
जैंतगढ़ आसपास के ग्रामीण क्षेत्र की बिजली व्यवस्था आज भी चरमरायी है. डिजिटल युग में ग्रामीण क्षेत्र में मुश्किल से 5 से 6 घंटे बिजली रह पा रही है. इसका मुख्य कारण झूलते तार, पंक्चर डिस्क, जर्जर खंभे, टूटे तार, जगह-जगह फॉल्ट, 11 हजार वोल्ट के तार बांस के खंभों के सहारे खींचे होना आदि हैं. वहींं, बिजली बिल के बढ़ने से उपभोक्ता परेशान हैं. उनकी मानें तो पिछले 5 साल में बिल भी काफी त्रुटिपूर्ण आ रहा है. इससे परेशानी और बढ़ गयी है. लोगों ने कहा कि शाम होते ही बिजली कट जाती है. पावर कम होने के नाम पर एक-एक घंटे में बिजली काट दी जा रही है.क्या कहते हैं लोग
कई जगह खासकर पोकाम, छनपदा, पट्टाजैंत में 11 हजार वोल्ट के तार बांस के खंभों के सहारे खींचे गए हैं. कई स्थानों पर 11 हजार और 440 वॉल्ट एक ही जगह उलझे हैं. राय भूमिज, जगन्नाथपुर प्रखंड अध्यक्ष सह पट्टाजैंत पंचायत के पूर्व मुखिया………..जब से लाइन आयी है, तार बदला नहीं गया है. तार 50 वर्ष पुराने हैं. जैतगढ़ से मासाबिला तक 10 किलोमीटर में तारों में लगभग 500 टांके हैं. जमादार लागुरी, मामु संघ के केंद्रीय उपाध्यक्ष…………..
दुर्घटना के बाद भी विभाग नहीं चेता. दर्जनों पशुओं की मौत के साथ 5 वर्षों में 3 लोगों की मौत बिजली के गिरे तारों की चपेट में आने से हुई है. फिर भी विभाग नहीं चेता है. -संदेश सरदार, झामुमो नेता…………………4 वर्ष पूर्व बारला गांव में विभाग की लापरवाही से महिला की मौत के बाद बिजली विभाग के एसडीओ ने तार बदलने, खंभे दुरुस्त करा कर व्यवस्था सुचारू करने की घोषणा की थी. अब तो जोरदार आंदोलन होगा. – दास महाराणा, स्थानीय ग्रामीण…………..हमें तीन मेगा वाट बिजली की जरूरत है. बिजली से मात्र आधा मेगा वाट मिल रही है. ऐसे में बिजली काट कर मेक अप करना पड़ता है. पावर पर्याप्त मात्रा में मिले, तो बिजली समस्या का निदान हो जाएगा.
-उदय जारिका, बिजली मिस्त्रीडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है