प्रभात खबर जमशेदपुर संस्करण रजत जयंती : मंत्री जोबा मांझी ने कहा- मेरे दिवंगत पति के कार्यों को प्रभात खबर ने प्रमुखता से दिया जगह
Prabhat Khabar Jamshedpur edition Silver Jubilee : प्रभात खबर जमशेदपुर संस्करण के रजत जयंती के उपलक्ष्य पर झारखंड की महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग की मंत्री जोबा मांझी ने कहा कि मेरे पति की हत्या की खबरों को प्रभात खबर ने अपने अखबार में प्रमुखता से जगह दिया. 14 अक्तूबर, 1994 को मेरे दिवंगत पति स्वर्गीय देवेंद्र मांझी की हत्या कर दी गयी थी. उससे पहले से मेरे घर पर प्रभात खबर का रांची संस्करण आता था. जब मेरे पति की हत्या कर दी गयी, तो प्रभात खबर रांची संस्करण ने इसे काफी प्राथमिकता के साथ अपने अखबार में जगह दिया था. मांझी साहब के योगदान को सुर्खियां बना कर झारखंड के लिए इसे बड़ा नुकसान बताया गया था.
Prabhat Khabar Jamshedpur edition Silver Jubilee : पश्चिमी सिंहभूम (शीन अनवर) : प्रभात खबर जमशेदपुर संस्करण के रजत जयंती के उपलक्ष्य पर झारखंड की महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग की मंत्री जोबा मांझी ने कहा कि मेरे पति की हत्या की खबरों को प्रभात खबर ने अपने अखबार में प्रमुखता से जगह दिया. 14 अक्तूबर, 1994 को मेरे दिवंगत पति स्वर्गीय देवेंद्र मांझी की हत्या कर दी गयी थी. उससे पहले से मेरे घर पर प्रभात खबर का रांची संस्करण आता था. जब मेरे पति की हत्या कर दी गयी, तो प्रभात खबर रांची संस्करण ने इसे काफी प्राथमिकता के साथ अपने अखबार में जगह दिया था. मांझी साहब के योगदान को सुर्खियां बना कर झारखंड के लिए इसे बड़ा नुकसान बताया गया था.
मांझी साहब की हत्या के एक साल बाद प्रभात खबर का जमशेदपुर संस्करण 8 सितंबर, 1995 को शुरू हुआ. मांझी साहब की पहली शहादत दिवस को प्रभात खबर ने विशेषांक के तौर पर प्राथमिकता के साथ जगह दिया. उसके बाद से अब तक प्रत्येक वर्ष मांझी साहब के योगदान को प्रभात खबर जगह देता आया है. मैं शुक्रिया अदा करना चाहूंगी प्रभात खबर जमशेदपुर के तत्कालीन स्थानीय संपादक अनुज कुमार सिन्हा जी का, जिन्होंने अपनी पुस्तक में मेरे दिवंगत पति को स्थान देने के साथ ही 4 पन्नों पर झारखंड एवं समाज को मांझी साहब के दिये गये योगदान को पुस्तक में प्राथमिकता के साथ जगह दी गयी. मुझे उस पुस्तक के विमोचन समारोह में शामिल होने का गौरव भी प्राप्त हुआ था.
मैं अनुज जी का ऋणी हूं. नि:संदेह वह पुस्तक झारखंड की धरोहर है, जिसमें एक- एक आंदोलन, आंदोलनकारी और शहीदों का जिक्र है. इस पुस्तक को स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल कर बच्चों को झारखंड आंदोलन की गाथा पढ़ाई जानी चाहिए. मुझे याद है कि वर्ष 1995 में मैं पहला विधानसभा चुनाव लड़ी थी. जिसमें प्रभात खबर ने मेरा बहुत साथ दिया था. उस समय से आज तक प्रभात खबर का साथ बना हुआ है. मेरे मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र में प्रभात खबर सबसे अधिक पढ़ा जाता है.
झाड़- जंगल में बसने वाले सीधे- साधे ग्रामीण भी प्रभात खबर बहुत चाव के साथ पढ़ते हैं. सुदूर गांवों में भी मैंने प्रभात खबर की प्रतियां देखी हैं. चुनाव के समय मेरी ताकत अखबार भी बनता है. मैं जहां नहीं पहुंच पाती हूं, मेरा संदेश समाचार पत्र से ही पहुंचता है. प्रभात खबर ने तो आगे बढ़ कर मेरा साथ दिया है. मेरी शुभकामनाएं हमेशा से प्रभात खबर के साथ है. मैं चाहती हूं कि यह अखबार और तरक्की करे, फले-फूले और खूब आगे बढ़े.
जिस तरह एक अभियान के साथ किसी भी ज्वलंत मुद्दे को यह अखबार सुर्खियां बनाता है, वह तारीफ के काबिल है. समाजहित में इसके प्रयास हमेशा से सकारात्मक ही रहा है. गांव- शहर के जन- जन तक यह अखबार पहुंचता है. ये समाज में हमेशा आईना बन कर सामने आया है. समाज की कमियों को हमेशा दूर करने में सहायक सिद्ध हुआ है. लोगों को जागरूक करने में प्रभात खबर का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है. कई अच्छी चीजों के लिए यह अखबार प्रेरणा बन कर सामने आया है.
महिलाओं को हमेशा से इस अखबार ने उचित स्थान दिया है. मैं चाहती हूं कि यह अखबार अपनी शैली को बनाये रखे. जिस तरह झारखंड और जंगल आंदोलन को समाज के बीच लाने का काम इस अखबार ने किया है, उसी तरह आगे भी हर दर्दमंदों की दवा बनता रहे.
Posted By : Samir Ranjan.