न्याय प्रणाली में मध्यस्थ की भूमिका अहम : जिला जज
जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में शनिवार को सिविल कोर्ट में लोक अदालत का आयोजन किया गया.
लोक अदालत में 349 मामलों का निष्पादन, 11.16 लाख का समायोजनजिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में मासिक लोक अदालत का आयोजन
चाईबासा.
जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में शनिवार को सिविल कोर्ट में लोक अदालत का आयोजन किया गया. इस दौरान सात बेंचों ने मामलों की सुनवाई करते हुए 349 मुद्दों का सफल निष्पादन किया तथा 11लाख 16 हजार 300 रुपये का समायोजन भी किया. प्राधिकार के सचिव राजीव कुमार सिंह ने बताया कि प्रत्येक माह लोक अदालत का आयोजन किया जाता है. इसमें लोग अपने सुलहनीय मामलों के निष्पादन के लिए अपील कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि शनिवार के लोक अदालत में गठित 7 बेंचों में न्यायिक पदाधिकारियों में योगेश्वर मणि (प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय), ओम प्रकाश (जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम), सूर्यभूषण ओझा (जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय), राजीव कुमार सिंह (सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार), मंजीत साहू (अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी पोड़ाहाट), ऋषि कुमार (रेलवे न्यायिक दंडाधिकारी) और सुप्रिया रानी तिग्गा शामिल थे.इस मौके पर न्यायिक पदाधिकारियों और मध्यस्थ अधिवक्ताओं के बीच बैठक का आयोजन किया गया. इसका मुख्य उद्देश्य मध्यस्थता के माध्यम से मामलों के निष्पादन को सुलभ और सहज बनाना था. मौके पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम विश्वनाथ शुक्ला ने न्यायिक प्रक्रिया में मध्यस्थता की भूमिका की विशेषताओं का वर्णन किया. इसे और सरल बनाने पर चर्चा की. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव राजीव कुमार सिंह ने बताया कि यह विवाद सुलझाने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा मध्यस्थ निष्प्रभावी एवं निर्विकार व्यक्ति के रूप में, विवाद ग्रस्त पक्षकारों को एक ऐसे समझौते के लिये तैयार करता है जिस पर पक्षकारों की सहमति होती है.
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