चक्रधरपुर.साहब,चुआं ही हमारी उम्मीद,इसी सेबु झती है प्यास

चक्रधरपुर प्रखंड के लांजी गांव के सात टोले में पेयजल की व्यवस्था नहीं है. चुआं के दूषित पानी से 950 लोगों की प्यास बुझ रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 18, 2024 2:52 PM
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चक्रधरपुर. चक्रधरपुर प्रखंड की होयोहातु पंचायत स्थित लांजी गांव के सात टोले में पेयजल की बेहतर सुविधा नहीं है. आज भी यहां के लोग चुआं के पानी पर निर्भर हैं. टोले की आबादी लगभग 950 है. इस भीषण गर्मी में पानी के लिए तरस रहे हैं. लांजी गांव दो हजार फीट ऊंचे पहाड़ पर बसा है. बारिश और ठंड के मौसम में पहाड़ों से गिरने वाले झरना के पानी से लोग प्यास बुझाते हैं. पर सबसे अधिक परेशानी गर्मी में होती है. गर्मी में झरना और तालाब सूख जाते हैं. इससे लांजी गांव के लातारडीह, रेंगोली, टुंटाहीह, पाकीला, सरबलडीह, टुपुंगउली व मुंड़ा टोला के ग्रामीणों को डेढ़-दो किलोमीटर की दूरी तय कर झरियानुमा जगह का तलाश करते हैं. वहां चुआं खोदकर पानी भरते हैं और इसका इस्तेमाल पीने और दिन भर का काम करने में करते हैं. इस गांव के ग्रामीणों को आज तक नल जल योजना का लाभ नहीं मिला है. गांव के मुंडा घासीराम भूमिज ने बताया कि हमलोगों ने कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को आवेदन दिया, पर कोई पहल नहीं की गयी. साहब हमलोगों की प्यास चुआं के पानी से बुझती है.

सुबह होते ही पानी की चिंता शुरू

इन टोलों में पानी की परेशानी रोजमर्रा की बात है. सुबह होते ही गांव की महिलाएं बर्तन-गैलन लेकर निकल पड़ती हैं. कटोरी-प्लेट के जरिए चुआं से पानी निकालते हैं और तसला, बाल्टी आदि में पानी भरते हैं. ग्रामीणों की कोशिश होती है कि सभी लोगों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल जाए, जिससे दिनभर का काम चल जाये. जरूरत पड़ने पर दिन में भी चुआं के पास दौड़ लगानी पड़ती हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गर्मी हमलोगों के लिए आफत बनकर आता है. पानी की समस्या विकराल हो जाती है. बरसात और जाड़े के मौसम में झरना के पानी से समस्या का निदान हो जाता है. बारिश होने पर झरना से पानी चलने लगता है. इसी से हमलोगों की प्यास बुझ जाती है.

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