प्रतिनिधि, जैंतगढ़
जून के चौथे सप्ताह में भी क्षेत्र की जमीन प्यासी है. विगत दो माह से क्षेत्र में बारिश नहीं हुई है. इससे खेती का काम शुरू भी नहीं हो पाया है, जबकि रजो संक्रांति के समय खेतों में धान की फसल अंकुरित होकर बड़ी हो जाती थी. बारिश के अभाव में क्षेत्र झुलस रहा है. अभी भी अधिकतम तापमान 40 डिग्री के पार है. गर्मी से खेतों मैदानों और पडिया जमीन पर दरारें पड़ गयी हैं. समय बीतने के साथ किसानों के माथे में चिंता की लकीरें और गहराती जा रही हैं. क्षेत्र के किसान सिंचाई के अभाव में राम भरोसे खेती करने को बाध्य हैं. गर्मी के मारे लोग घरों में दुबके रह रहे हैं. रोज दोपहर के बाद काले-काले बादल उमड़-घुमड़ रहे हैं. पर इंद्र देव की कृपा नहीं हो रही है. दूसरी ओर, उमस बढ़ने से लोगों की बेचैनी और बढ़ रही है. ऊपर से बिजली की आंख-मिचौनी ने परेशानी दोगुनी कर दी है. लोग गर्मी से निजात पाने व बारिश के लिए हरिनाम संकीर्तन का आयोजन कर रहे हैं.कोट
क्षेत्र की 80% आबादी धान की खेती पर निर्भर करती है. पूरी खेती वर्षा जल द्वारा होती है. क्षेत्र में सिंचाई का कोई साधन नहीं है. खेतों की जमीन फट गयी है. सरकार सुखाड़ घोषित कर राहत योजना चलाए, अन्यथा किसान पलायन की बाध्य होंगे.-पूर्णचंद्र पिंगुवा, प्रखंड अध्यक्ष, भारतीय किसान संघ
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