सकोड़ा गांव में चापाकल तक नहीं, चुआं पर निर्भर हैं 50 परिवार
सोनुआ के सुदूरवर्ती बीहड़ में बसा सकोड़ा गांव बसा है. गांव की आबादी करीब 300 है.
सोनुआ. सोनुआ प्रखंड की बोयकेड़ा पंचायत के सुदूरवर्ती बीहड़ में बसे सकोड़ा गांव में एक चापाकल तक नहीं है. मजबूरन यहां के ग्रामीण पेयजल के लिए पहाड़ के किनारे स्थित चुआं पर निर्भर रहते हैं. सकोड़ा गांव में लगभग 50 परिवार रहते हैं. पानी के लिए 300 की आबादी परेशान है. इसका पानी भी दूषित हो गया है. इससे ग्रामीणों को बीमारी की आशंका बनी रहती है. गर्मी के कारण गांव का तालाब सूख गया है. इससे मवेशियों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है. ग्रामीणों का एकमात्र जलस्रोत चुआं है. वहीं से ग्रामीणों व मवेशियों की प्यास बुझ रही है. इन समस्याओं से जूझ रहे ग्रामीण अब अपनी तकदीर के भरोसे जीवन-यापन कर रहे हैं. एक ओर जहां देश के लोग लोकतंत्र का महापर्व मना रहे हैं वहीं सकोड़ा गांव के ग्रामीण पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. पेयजल के अलावे गांव तक आजतक सड़क नहीं पहुंची है. इसके लिए जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने आजतक पहल नहीं की है. इस कारण इस गांव ग्रामीण सरकारी उदासीनता के कारण आक्रोशित हैं. पहाड़ी पर बसे सकोडा गांव की भौगोलिक स्थिति पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण आजतक यहां सड़क का निर्माण नहीं हो सका है. इससे ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है. कोट ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत दो योजनाओं का चयन सकोड़ा गांव के लिए किया गया है. सड़क नहीं रहने से बोरिंग गाड़ी नहीं पहुंच पा रही है. इस कारण समस्या हो रही है. चुनाव के बाद सकोड़ा गांव में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किया जायेगा. – समीर डुंगडुंग, एसडीओ, पेयजल व स्वच्छता विभाग
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