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छऊ के माध्यम से अपना करियर बनाएं कलाकार : सुखराम उरांव

भालुपानी में दो दिवसीय रोहिणी मेला सह छऊ नृत्य प्रतियोगिता संपन्न, नृत्य पर झूमे दर्शक

प्रतिनिधि, बंदगांव

रोहिणी पर्व के अवसर पर भालुपानी (आमबागान) में दो दिवसीय मेला सह छऊ नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. जिसका समापन बुधवार को हुआ. समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में विधायक सुखराम उरांव, विशिष्ट अतिथि समाजसेवी डॉ विजय सिंह गागराई, मुखिया सावित्री मेलगांडी, पूर्व मुखिया राजेंद्र मेलगांडी शामिल हुए. कार्यक्रम में विधायक सुखराम उरांव ने कहा कि छऊ नृत्य झारखंड की पहचान है. छऊ नृत्य पौराणिक कथाओं पर आधारित नृत्य शैली होती है. महिषासुर मर्दनी, बाली-सुग्रीव युद्ध, राम कथा, शिव लीला, गणेश वंदना छऊ नृत्य में प्रसिद्ध हैं. छऊ कलाकारों ने झारखंड की इस गौरवशाली परंपरा को बचाये रखा है. उन्होंने कहा आज कला, संस्कृति के साथ-साथ समाज व क्षेत्र के विकास कार्य में भी ग्रामीणों को बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना है. हमारा प्रयास है कि यहां के छऊ कलाकार छऊ के माध्यम से अपना करियर बनाएं. छऊ कलाकारों को हर संभव मदद प्रदान किया जायेगा.

भालुपानी व बड़ादामुडीह छऊ नृत्य समितियों ने लूटी वाहवाही

प्रतियोगिता में कुल दो छऊ नृत्य समितियों ने भाग लिया. जिसमें भालुपानी व बड़ादामुडीह छऊ नृत्य समिति शामिल थीं. प्रतियोगिता का शुभारंभ भालुपानी छऊ नृत्य कलाकारों द्वारा पौराणिक कथाओं पर आधारित गणेश वंदना नृत्य प्रस्तुत कर किया गया. जिसके बाद प्रतिभागियों ने आरती, वनदेवी, राधा-कृष्ण, शिकारी, शिव व पावर्ती आदि छऊ नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया. प्रतियोगिता में कलाकारों ने एक से बढ़कर एक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया.

छऊ नृत्य झारखंड की संस्कृति की पहचान : डॉ विजय

डॉ विजय सिंह गागराई ने कहा कि झारखंड की संस्कृति की छऊ नृत्य पहचान है. ग्रामीणों के सहयोग से कला को बचाए रखने में स्थानीय कलाकारों का अहम योगदान है. मुखिया सावित्री मेलगांडी ने कहा भालुपानी में रोहिणी पर्व सैकड़ों वर्षों से होते आ रहा है. यह पर्व किसानों का पर्व है. इस पर्व के बाद किसान खेतों में पूजा-अर्चना कर हल जुताई व धान बुआई का कार्य शुभारंभ करते हैं. मौके पर दोनों ही प्रतिभागियों को अतिथियों द्वारा पुरस्कार प्रदान किया गया.

मिठाई व खिलौने की दुकान पर उमड़ी भीड़

इस मौके पर दो दिवसीय मेला का भी आयोजन किया गया. जिसमें मिठाई की दुकान व बच्चों के खिलौने की दुकानों में काफी भीड़ थी. कायर्क्रम को सफल बनाने में मेला समिति के सुधांशु प्रधान, सुशांक प्रधान, सीताराम मेलगांडी, नन्दलाल कर्मा, हरिष चन्द्र प्रधान, सुमंत प्रधान, ऋषिकेश प्रधान, बिष्टू प्रधान, पवित्रो प्रधान, प्रकाश प्रधान, आनंद प्रधान आदि लोगों का सराहनीय योगदान रहा.

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