संवाददाता, चक्रधरपुर
चक्रधरपुर की जीवन रेखा कही जाने वाले संजय व विंजय नदी का जलस्तर पूरी तरह घट चुका है. नदी का जलस्तर घटने से स्थानीय कुआं व चापाकल का जलस्तर भी नीचे चला गया है. भीषण गर्मी में नदी व चापाकल का जलस्तर नीचे चले जाने से लोगों की परेशानी दोगुनी हो गयी है. जिस रफ्तार से नदी का पानी सूख रहा है. उससे कयास लगाया जा रहा है कि एक सप्ताह के अंदर बारिश नहीं हुई, तो पानी के लिए हाहाकार मच सकता है. चक्रधरपुर से आसनतलिया से बोड़दा गांव तक प्रत्येक दिन नदी से लगभग पांच हजार से अधिक लोग आश्रित हैं. काफी तेज रफ्तार से नदी का पानी घट रहा है. नदी के गड्ढों में जमा पानी भी दूषित हो चुका है. नदी में शहर की नालियों का पानी बह रहा है. जिससे नदी का पानी पूरी तरह दूषित हो गया है.नदी के पानी को जलकुंभी व गंदगी और दूषित कर रहे
मालूम हो कि नदी के पानी को जलकुंभी व गंदगी और दूषित कर रहे हैं. पानी के अभाव में लोग दूषित पानी में स्नान व दैनिक कार्य करने को मजबूर हैं. नदी से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में नदी के सूखने के कारण जल संकट गहरा गया है. नदी सूखने के कारण लोग किनारों पर गड्ढा खोदकर पानी निकाल रहे हैं. नदी की ऊपरी सतह पर सिर्फ कीचड़ है. लोगों ने कहा कि नदी का जलस्तर नीचे जाने से पानी बेहद गंदा है. इस मौसम में नदी के पानी में बहाव नहीं है, इसलिए पानी शुद्ध नहीं है. लोगों ने कहा कि इसी रफ्तार से नदी सूखी तो एक सप्ताह के अंदर लोगों के बीच विकट समस्या उत्पन्न हो जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है