Kalpana Soren: रांची: झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि हेमंत जी ने हमेशा संघर्ष से लड़ना सीखा है, उसके सामने झुकना नहीं. उन्होंने कोरोना काल का जिक्र करते हुए लिखा है कि कोरोना का समय था और सभी ओर भय का माहौल. जब भारत सरकार ने पूरे देश को लॉकडाउन लगाकर बंद करने का फैसला लिया, तब झारखंड की जिम्मेदारी संभालते हुए हेमंत जी को दो महीने ही हुए थे. उनके सामने न सिर्फ राज्य में रह रहे लोगों की फिक्र थी, बल्कि अन्य राज्यों से आ रहे प्रवासी श्रमिक भाइयों-बहनों, बच्चों-बुजुर्गों तथा अन्य राज्यों में रह रहे झारखंडियों तक मदद पहुंचाने की भी जिम्मेदारी थी. वे हर रोज सुबह से देर रात तक अधिकारियों से व्यवस्था की जानकारी लेते हुए उन्हें जरूरी दिशा-निर्देश देने के बाद, कभी-कभी अलसुबह 4:00 बजे तक जरूरी फाइलें निबटाया करते थे.
अपने आपको दो कमरों में सीमित कर लिया था
कल्पना सोरेन ने लिखा है कि कोरोना के पहले चरण के उन तीन-चार महीनों में मैंने और बच्चों ने शायद ही हेमंत जी के साथ इत्मीनान से एक दिन भी बिताया होगा. उन्होंने हमें सुरक्षित रखने के लिए खुद को आवास के बाहरी हिस्से में बने दो कमरों में सीमित कर लिया था. ऐसा कोई दिन नहीं था, जब वे लोगों के हितों, उनके जीवन और जीविका के संरक्षण के लिए कार्य नहीं कर रहे थे, उनके बीच मौजूद नहीं थे.
भाजपा के नेता घर बैठ गये थे
कल्पना ने लिखा है कि एक तरफ भाजपा के बड़े-बड़े नेता घर में बैठ गये थे और खुद को सिर्फ सोशल मीडिया एवं चिट्ठी/पत्रों तक सीमित कर लिया था. वहीं, हेमंत जी और झामुमो तथा गठबंधन सरकार का हर जनप्रतिनिधि एवं कार्यकर्ता राज्यवासियों के बीच था. इस महामारी में हमने लोगों की सेवा करते हुए अपने दो जुझारू नेताओं समेत कई लोगों को खोया था. हाजी साहब और टाइगर जगरनाथ महतो जी ने सच्चे झारखंडी की तरह अपने प्राणों की आहुति देकर जनता की सेवा की थी. राज्य में हजारों दीदी किचन की मदद से पूरे राज्य में भोजन की नि:शुल्क व्यवस्था की गयी थी. पूर्व की सरकार में जहां राज्य के माथे पर भूख से कई मौतों का कलंक लगा, वहीं कोरोना जैसी विकट महामारी में हेमंत जी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने लाखों लोगों के जीवन और जीविका का विशेष ध्यान रखा. हेमंत जी, झामुमो एवं गठबंधन सरकार के सभी लोगों की इस संवेदना और संघर्षशीलता ने पूरे देश को दिखाया है कि व्यक्तिगत कठिनाइयों के बावजूद कैसे राज्यवासियों की सेवा की जानी चाहिए.