Kishanganj news :जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए तकनीकी सेवाओं का विकास महत्वपूर्ण है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए क्यूआर कोड स्कैन एंड शेयर के माध्यम से ओपीडी का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है. सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि क्यूआर कोड स्कैन करके रजिस्ट्रेशन की सुविधा एक आधुनिक पहल है, जो मरीजों के लिए लाभदायक साबित हो रही है. इस प्रक्रिया के माध्यम से मरीजों को लंबी कतार में खड़ा नहीं होना पड़ता और उनका रजिस्ट्रेशन त्वरित और सरल तरीके से हो जाता है.एबीडीएम योजना के तहत ( डीएचआइएस डिजिटल हेल्थ इंस्टेंसिव स्कीम ) के तहत मरीजों का निबंधन किया जा रहा है.क्यूआर कोड जारी होने से अब मरीजों को रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पर्ची के लिए लंबी-लंबी लाइनों में घंटों इंतजार नहीं करना पड़ेगा. अब मरीज अस्पताल में लगे क्यूआर कोड को स्कैन कर सीधे संबंधित डॉक्टर से आसानी से दिखा सकते हैं.
8487 से अधिक मरीजों ने कराया ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन
सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया की अब तक 8487 मरीजों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया है. इसमें से सिर्फ मई में ही अब तक 2200 से अधिक मरीजों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. रजिस्ट्रेशन को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रति मरीज पंजीयन पर 20 रुपये रोगी कल्याण समिति के खाते में दिया जाता है. इसे अस्पताल के उन्नयन में खर्च किया जा सकता है.
ऑनलाइन पर्ची बनवाने से समय की होगी बचत
सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि किशनगंज के सभी अस्पतालों में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत आभा एप के माध्यम से पर्चा बनना शुरू हो गया है. इसके तहत मरीज क्यूआर कोड को स्कैन करके पर्चा बनवाना शुरू कर दिए हैं. बता दें कि अस्पताल में रोजाना करीब 600 से लेकर 1200 तक मरीज विशेषज्ञ चिकित्सक के पास इलाज कराने कराने आते हैं. ओपीडी पर्ची बनवाने के लिए महिलाओं व पुरुषों के लिए अलग-अलग काउंटर हैं. सुबह से लेकर दोपहर तक पर्चे बनाए जाते हैं, लेकिन क्यूआर कोड स्कैन की जानकारी के अभाव में पर्चा बनवाने के लिए काफी देर तक लोगों को लाइन में खड़ा रहना पड़ताहै. यदि मरीज व तीमारदार आभा एप के जरिए क्यूआर कोड स्कैन करें, तो पर्चा बनवाने में उनका समय भी बचेगा और लाइन में ज्यादा देर खड़ा नहीं होना पड़ेगा.
सभी अस्पताल के ओपीडी में चिपकाया गया है क्यूआर कोड
सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि जिले के सभी अस्पतालों के ओपीडी में क्यूआर कोड चिपका दिया गया है. ओपीडी काउंटर के पास स्थापित काउंटर से अस्पताल में आनेवाले मरीजों को आभा एप के जरिए स्कैन कर किये गये रजिस्ट्रेशन के टोकन के अनुसार पर्चा मिलेगा. साथ ही क्यूआर कोड की सुविधा की जानकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों को दी जा रही है.क्यूआर कोड से स्कैन कर ओपीडी पर्चे को आधा घंटे के अंदर क्यूआर कोड स्कैन रजिस्ट्रेशन काउंटर से लेना होगा. सिविल सर्जन ने बताया की क्यूआर कोड स्कैनिंग प्रणाली को लागू करने के कई और फायदे हैं.
समय की होगी बचत
अस्पताल या क्लिनिक में पहुंचने पर मरीजों को लंबी कतारों में इंतजार नहीं करना पड़ेगा. वे सीधे क्यूआर कोड स्कैन करके रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं.क्यूआर कोड स्कैन करने से मरीज अपनी सुविधा अनुसार ऑनलाइन अपॉइंटमेंट भी बुक कर सकते हैं, जिससे भीड़ कम होगी और संसाधनों का प्रभावी उपयोग संभव होगा. अस्पताल प्रशासन के लिए मरीजों के रजिस्ट्रेशन और स्वास्थ्य रिकॉर्ड को प्रबंधित करना आसान हो जायेगा. वह आसानी से मरीजों की संख्या, अपॉइंटमेंट्स और स्वास्थ्य सेवाओं का विश्लेषण कर सकेंगे.
त्वरित सूचना मिलेगी
मरीजों को उनके अपॉइंटमेंट, टेस्ट के परिणाम और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी तत्काल प्राप्त हो सकेगी. यह सेवा मरीजों को उनके इलाज के दौरान किसी भी महत्वपूर्ण अपडेट से अवगत कराएगी. इस तकनीक का उपयोग छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी किया जा सकता है, जहां विशेषज्ञों की उपलब्धता सीमित होती है.क्यूआर कोड स्कैनिंग के माध्यम से टेलीमेडिसिन सेवाओं को भी प्रोत्साहन मिलेगा. मरीज अपने रजिस्ट्रेशन और अपॉइंटमेंट की स्थिति को रियल टाइम में ट्रैक कर सकते हैं, ताकि अनावश्यक भ्रम और असुविधा से बचा जा सके.
कागज रहित प्रक्रिया
इस तकनीक के उपयोग से कागज के उपयोग में कमी आएगी और पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी. इस प्रकार क्यूआर कोड स्कैनिंग प्रणाली का स्वास्थ्य सेवाओं में उपयोग एक क्रांतिकारी कदम है, जो स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुलभ, कुशल और प्रभावी बनायेगा. इस प्रकार की तकनीकी सेवाओं के विकास से न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा, बल्कि मरीजों को भी सुविधाजनक और बेहतर अनुभव प्राप्त होगा.
आभा पंजीकरण के लिए ये है जरूरी चीजें
एंड्राइड मोबाइल फोन व इंटरनेट सेवा होनी जरूरी
क्यूआर कोड आभा एप, आरोग्य सेतु एप से भी कर सकते हैं स्कैन