छह माह का कोर्स, डेढ़ माह में ही ली ली गयी परीक्षा
स्नातक सेमेस्टर 4 की परीक्षा का रिजल्ट डेढ़ माह पूर्व ही निकला. परीक्षा का रिजल्ट जारी होने के करीब डेढ़ माह के भीतर ही आनन-फानन में सेमेस्टर 5 की परीक्षा लेने का फरमान जारी किया गया और परीक्षा लेनी भी शुरू हो गयी. जबकि कई बार छह माह का कोर्स लेकिन परीक्षा नौ माह से लेकर एक साल की अवधि में ली जाती है. इतना ही नहीं सेमेस्टर 5 की परीक्षा में किसी प्रकार का कोई गैप भी नहीं दिया गया है.
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प्रश्न पत्र पर अंकित थे 2023
कोल्हान विवि की ओर से शनिवार को जो प्रश्न पत्र विद्यार्थियों को दिए गये उस प्रश्न पत्र पर 2023 अंकित थे. जबकि परीक्षा मई 2024 में ली जा रही है. इसे लेकर भी परीक्षार्थियों ने आरोप लगाया कि कोई पुराना प्रश्न पत्र परीक्षार्थियों के बीच बांट दिए गये. हालांकि, इस संबंध में विवि की ओर से अधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं मिल सकी.
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आधे घंटे के मंथन के बाद लिया गया निर्णय
शनिवार को परीक्षा केंद्रों की ओर से तत्काल इसकी सूचना कोल्हान विश्वविद्यालय के अधिकारियों को दी गयी. आधे घंटे के मंथन के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने इतिहास एवं मनोविज्ञान की परीक्षा को स्थगित करने का फैसला लिया. परीक्षार्थियों ने बताया कि आखिर किस प्रकार से प्रश्न पत्र को सेट किया गया था कि एक प्रश्न भी सिलेबस से नहीं थे.
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प्रश्नपत्र सेटर से हुई थी गलती, अब 31 मई को होगी परीक्षा : परीक्षा नियंत्रक
विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ अजय कुमार चौधरी ने कहा कि प्रश्न पत्र सेटर से प्रश्न पत्र तैयार करने में गलती हुई है. यही कारण है कि इतिहास व मनोविज्ञान दोनों विषयों की परीक्षा स्थगित कर दी गयी है. अब दोनों विषय की परीक्षा 31 मई को प्रथम पाली में ली जाएगी. परीक्षा को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गयी है.
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परीक्षार्थियों में है असंतोष, प्राइवेट यूनिवर्सिटी को बढ़ावा देने का लगाया आरोप
शनिवार को हुई परीक्षा में आउट ऑफ सिलेबस प्रश्न पूछे जाने व परीक्षा स्थगित होने से बौखलाए परीक्षार्थियों ने कोल्हान विवि के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. एबीएम कॉलेज परीक्षा केंद्र से बाहर निकल रहे परीक्षार्थियों ने कहा कि विवि प्रशासन से जुड़े लोग नहीं चाहते हैं कि गरीबों के बच्चे सरकारी विवि में पढ़ाई कर सकें. कभी परीक्षा नहीं होना, एकेडमिक कैलेंडर देर से होना, कभी पेपर आउट ऑफ सिलेबस होना, ये सब कुछ सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है. ताकि विद्यार्थी परेशान होकर प्राइवेट यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लें. प्राइवेट यूनिवर्सिटी को बढ़ावा देने के लिए कुछ पदाधिकारियों द्वारा सरकारी यूनिवर्सिटी को व्यवस्था खराब करने का आरोप लगाया.