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पश्चिम बंगाल : बंद उद्योगों को लेकर बर्दवान-दुर्गापुर में चुनावी समीकरण बदलने के आसार

पश्चिम बंगाल : दिलीप घोष अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. यही कारण है कि इस बार अपने चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने राज्य की मुख्यमंत्री पर करारा कटाक्ष किया था. फिर उसे बड़ा मुद्दा बना कर कीर्ति आजाद ने दिलीप पर हमला बोला.

By Shinki Singh | May 11, 2024 1:40 PM
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पानागढ़, मुकेश तिवारी : पश्चिम बंगाल में आम चुनाव के चौथे चरण में 13 मई को बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा सीट (Burdwan-Durgapur Lok Sabha seat) के लिए मतदान होगा. इसके पहले इस अहम सीट से भाजपा के प्रत्याशी दिलीप घोष, तृणमूल कांग्रेस के प्रार्थी कीर्ति आजाद और कांग्रेस-माकपा यानी I.N.D.I.A गठबंधन के साझा उम्मीदवार सुकृति घोषाल अपने-अपने तरीके से चुनाव प्रचार कर रहे हैं. हालांकि बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) के साथ दो निर्दल प्रार्थी को जोड़ लें, तो इस बार चुनाव मैदान में कुल छह प्रत्याशी हैं. लेकिन भाजपा व तृणमूल प्रत्याशी के बीच वाकयुद्ध तेज होता जा रहा है. इससे अलग माकपा-कांग्रेस के साझा प्रार्थी सुकृति घोषाल अपने ही ढंग से प्रचार में लगे हैं.

I.N.D.I.A गठबंधन के सुकृति घोषाल भी कर रहे जन-संपर्क

ध्यान रहे कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा के एसएस अहलूवालिया ने तृणमूल की तत्कालीन सांसद मुमताज संघमित्रा को 2439 वोटों से परास्त किया था. भाजपा प्रार्थी को कुल 5,98,376 वोट मिले थे, जबकि तृणमूल प्रार्थी को 5,95,937 वोट मिला था. वहीं, माकपा के आभाष रायचौधरी को कुल 1,61,329 वोट मिले थे. इस बार उक्त सीट पर लड़ाई कठिन है. चूंकि इस संसदीय सीट पर हिंदी भाषी मतदाता बड़ी भूमिका निभाते हैं. लिहाजा इस बार तृणमूल ने पूर्व भारतीय क्रिकेटर कीर्ति झा आजाद को अपना प्रार्थी बनाया है. वहीं, यहां से निवर्तमान सांसद अहलूवालिया को इस बार भाजपा ने आसनसोल लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है.

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तृणमूल के कीर्ति आजाद व भाजपा के दिलीप घोष में तेज हुई जुबानी जंग

ऐसे में मेदिनीपुर के निवर्तमान सांसद दिलीप घोष को बर्दवान-दुर्गापुर संसदीय सीट से प्रार्थी बनाया गया है. दिलीप घोष अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. यही कारण है कि इस बार अपने चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने राज्य की मुख्यमंत्री पर करारा कटाक्ष किया था. फिर उसे बड़ा मुद्दा बना कर कीर्ति आजाद ने दिलीप पर हमला बोला. चुनाव आयोग से शिकायत भी की गयी. उसके बाद दिलीप घोष ने अपनी फिसली जुबान को लेकर दुख जताया.भीषण गर्मी को देखते हुए चुनाव प्रचार के दौरान जहां कीर्ति आजाद की तबीयत बिगड़ गयी थी, वहीं दिलीप घोष इस गर्मी के मद्देनजर चुनाव प्रचार के पहले पंता भात और फ्राइड छोटी मछली खाते देखे गये. रोज प्रात:भ्रमण और स्थानीय लोकल बाजार से मछली खरीदते दिलीप घोष को देखा जा सकता है.

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कीर्ति आजाद और दिलीप घोष हर इलाके में कर रहें हैं अपने चुनाव प्रचार

दिलीप के मुताबिक इस बहाने वे चुनाव के रुझान को भी समझते हैं. प्रात:भ्रमण पर आये दिन कोई न कोई मुद्दा खड़ा कर चुनावी माहौल को गरमाये रखते हैं. हालांकि इस चुनाव में सबसे विशेष बात यह रही कि कीर्ति आजाद और दिलीप घोष हर इलाके में अपने चुनाव प्रचार के पहले उस इलाके के मंदिरों में जरूर पहुंचते रहे हैं. इसके उलट सुकृति घोषाल जनता-जनार्दन की तकलीफों व समस्याओं को करीब से समझते देखे गये. भीषण गर्मी को देखते हुए तृणमूल के कीर्ति आजाद और भाजपा के दिलीप घोष को मुख्यत: कुर्ता-पायजामे में ही अपना चुनाव प्रचार करते देखा गया. दिलीप को सफेद ,गुलाबी हल्का पीला कुर्ते और भगवा गमछा के अलावा टी-शर्ट पैंट पहने देखा गया. जबकि कीर्ति आजाद ज्यादातर सफेद कुर्ता और सफेद पायजामा में दिखे जबकि इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी सुकृति घोषाल को स्काई शर्ट और ग्रे पैंट और सिर पर लाल टोपी में ज्यादातर चुनाव प्रचार करते देखा गया.

 बंद कल-कारखानों को चुनावी मुद्दा बना कर पार्टियां एक-दूसरे पर हमलावर

चुनाव प्रचार में अभी तक केवल तृणमूल प्रार्थी कीर्ति आजाद को कई बार ह्वील चेयर पर बैठी अपनी बीमार पत्नी पूनम के साथ भी देखा गया. वह पत्नी के साथ मंदिरों में भी गये. लेकिन अन्य कोई प्रार्थी पत्नी के साथ प्रचार करते नहीं दिखा. दिलीप व कीर्ति आजाद दोनों ही प्रार्थी चुनाव प्रचार के पहले सुबह योग अथवा टहलने का नियमित अभ्यास करते हैं. दोनों ही प्रार्थी मानते हैं कि सुबह की कसरत तन को दिनभर तरोताजा रखती है. बंगाली ग्रामीण भाषा में दिलीप के व्यंग्य चुटीले होते हैं. हर बार दिलीप अपने अनोखे अंदाज में बात को रखते हैं. वोट देने को लेकर दिलीप कहते हैं कि यह वोट मुझे नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी के विकास को दें. जबकि तृणमूल के कीर्ति आजाद भाजपा के विकास को धोखा व छलावा बता कर राज्य की मुख्यमंत्री के विकास और उनकी योजनाओं को दिखाते हुए वोट मांगते दिखे. वहीं, इन दोनों से परे सुकृति घोषाल राज्य व केंद्र की नीतियों पर सवाल उठाते हुए जनता को उससे मुक्ति दिलाने के नाम पर वोट मांगते देखे गये.

प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की लोकसभा चुनाव के दौरान कर चुके हैं चुनावी सभाएं

वहीं, तृणमूल के कीर्ति आजाद के समर्थन में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी समेत राज्य के पंचायत मंत्री प्रदीप मजूमदार चुनावी सभाएं कर चुके हैं. इस बीच, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व बर्दवान के तालित में दिलीप घोष के समर्थन में आयोजित चुनावी सभा में दुर्गापुर औद्योगिक क्षेत्र के विकास और पूरी दुनिया में दुर्गापुर के अभूतपूर्व औद्योगिक विकास की बात कह कर जनता को लुभाने का प्रयास किया. वहीं, अमित शाह भी दुर्गापुर की चुनावी सभा में क्षेत्र के औद्योगिक विकास की बात कह चुके हैं. जबकि तृणमूल की मुखिया व राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दुर्गापुर में उद्योगों की बदहाली का ठीकरा केंद्र पर फोड़ा.

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यहां त्रिकोणीय मुकाबले का बन गया है माहौल

कहा कि दुर्गापुर का उद्योग और ज्यादा विकसित होगा. स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों की मानें, तो इस बार बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा सीट पर मुख्य लड़ाई भाजपा व तृणमूल के बीच है. लेकिन खामोशी के साथ सुकृति घोषाल भी जन-संपर्क में लगे हैं. ऐसे में यहां त्रिकोणीय मुकाबले का माहौल बन गया है. वामपंथी, भाजपा, तृणमूल दुर्गापुर औद्योगिक क्षेत्र में बंद कल-कारखानों को चुनावी मुद्दा बना कर एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं. किसानों की समस्या और घटती खेतिहर भूमि भी बड़ा मुद्दा बन कर सामने आया है. कल-कारखानों के बावजूद स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं है.अब देखना है कि जनता का विश्वास किस पर जमता है.

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