Lok Sabha Election 2024: चुनावी फैशन में लिनेन कुर्ता-जींस व बंडी, तपती धूप में गमछा बन रहा है सहारा
Lok Sabha Election 2024 चुनाव, गर्मी और ईद से सूती और लिनेन कपड़ों व गमछे के कारोबार ने रफ्तार पकड़ ली है. सिल्क सिटी में 10 करोड़ से अधिक का कारोबार होगा.
Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होते ही कुर्ता-पाजामा के कारोबार में बढ़ोतरी हो गयी है. युवाओं में राजनेता का पारंपरिक ड्रेस पजामा-कुर्ता के प्रति दीवानगी देखी जा रही है. जो युवा आम दिनों में ब्रांडेड और डिजाइनर की जींस पैंट और फिल्मी स्टाइल की टी-शर्ट और शर्ट में दिखते थे, वही आज लिनेन व कॉटन कुर्ता और अलीगढ़ी पजामा में दिखने लगे हैं. बाजार में जिन कुर्ता-पाजामा की बिक्री नहीं के बराबर होती थी, उसकी बिक्री 60 फीसदी बढ़ गयी है.
युवा सिल्क व कॉटन कपड़ा कारोबारी तहसीन सवाब ने बताया कि एक साथ चुनाव, गर्मी व ईद आने से कुर्ता, पाजामा, गमछा व बंडी की बिक्री बढ़ गयी है. अचानक गर्मी बढ़ने के कारण गमछे की डिमांड बढ़ गयी. इससे पहले ही पटना, रांची, दिल्ली समेत देशभर से ऑर्डर की बाढ़ आ गयी. ऑर्डर पूरा करना मुश्किल हो रहा है. केवल गमछा, कुर्ता-पाजामा के कपड़ों का 10 करोड़ से अधिक का कारोबार की उम्मीद है.
प्लेन कलर कुर्ता व अलीगढ़ी पजामा का क्रेज
चुनाव को लेकर युवा ही नहीं अन्य उम्र के लोग भी नेतागिरी को लेकर कॉटन का प्लेन कुर्ता व अलीगढ़ी पजामा पसंद कर रहे हैं.तातारपुर के कुर्ता हाउस के संचालक मो राशिद जमाल ने बताया ज्यों-ज्यों चुनाव नजदीक आ रहा है, रेडीमेड कुर्ता पाजामा की बिक्री बढ़ रही है. 250 से 350 रुपये के कुर्ता व 150 से 200 रुपये तक के पाजामा अधिक पसंद आ रहे हैं. इसमें सिलाई व कपड़ा खरीदने की झंझट नहीं होता है. हां कुछ लोग फिटिंग के लिए परेशान रहते हैं. आधा घंटा में दर्जी उनका कुरता पाजामा फिट कर देता है. मो राशिद ने बताया नेतागिरी के लिए लोग प्लेन खासकर उजला कॉटन व अध्धी का कुर्ता व अलीगढ़ी पजामा पसंद कर रहे हैं.
युवाओं को भा रहा कप वाला कुर्ता
कुर्ता स्पेशलिस्ट टेलर मास्टर ने बताया कि चुनाव नजदीक होने से कुर्ता-पजामा की सिलाई बढ़ना स्वाभाविक है. पहले लोग प्लेन बिना कप वाला कुरता पसंद करते थे. युवाओं को कप वाला कुर्ता ही पसंद है. यह कप वाला कुर्ता शर्ट की तरह हाथ के पास प्लेन नहीं होकर बटन वाला होता है. लिनेन का कुर्ता युवा ही नहीं उम्रदराज नेताओं को भी पसंद है. दूसरे टेलर ने बताया पहले लोग मोटा खद्दर का कुर्ता पसंद करते थे, लेकिन अब डिजाइन वाला कुर्ता, जिसमें पठानी डिजाइन कुर्ता पसंद कर रहे हैं. सलाउद्दीन ने बताया 600 से 1000 रुपये तक में कपड़ा और सिलाई दोनों संभव हो जाता है. कुर्ता-पजामा सिलाई में 350 रुपये तक खर्च आता है. दर्जी को पहले जहां दो से चार सेट कुर्ता-पाजामा बनाना पड़ता था, अभी पांच से आठ सेट कुर्ता-पाजामा बनाना पड़ रहा है.
युवाओं को भा रही खादी बंडी, बढ़ी गांधी टोपी की बिक्री
खादी ग्रामोद्योग संघ के प्रशासक मायाकांत झा ने बताया हस्तकरघा का बना खादी कपड़े का कुर्ता अब कुछ पुराने नेताओं को ही पसंद है. अधिकतर नेता अब कुर्ता तो पहन रहे हैं, लेकिन पावरलूम में बने लिनेन कपड़े या अध्धी का कुर्ता. हां अभी गांधी टोपी की बिक्री बढ़ी है, जो 80 रुपये में उपलब्ध है. बंडी का क्रेज बढ़ा है. अधिकतर लोग खादी ग्रामोद्योग का खादी बंडी पसंद कर रहे हैं, जो 850 से 1200 रुपये तक में उपलब्ध है. प्रिंट में 1500 से 3000 रुपये तक उपलब्ध है. खादी कपड़ा के कारोबारी शिवनंदन का कहना है पहले से 30 फीसदी खादी कपड़े का कारोबार बढ़ा है, लेकिन पावरलूम में बने खादी के पैंट के कपड़े की बिक्री बढ़ गयी है. 300 रुपये मीटर खादी के पैंट के कपड़े मिल रहे हैं, जबकि कुर्ता का कपड़ा 110 से 500 रुपये मीटर तक उपलब्ध है.
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