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बिहार में तीसरे फेज की पांचों सीटों का क्या है गुणा-भाग? जानिए पिछले चुनाव में किस फैक्टर ने दिखाया था असर..

बिहार की पांच लोकसभा सीट पर तीसरे चरण में मतदान होना है. जानिए इन सीटों का क्या है गुणा-भाग

By ThakurShaktilochan Sandilya | April 28, 2024 1:14 PM
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Lok Sabha Election : बिहार में दो चरणों का मतदान संपन्न हो चुका है और तीसरे चरण के मतदान की तैयारी अब शुरू हो गयी है. सात मई को बिहार की पांच संसदीय सीटों पर मतदान होना है. कोशी क्षेत्र की भी सीटों पर भी इस चरण में वोट डाले जाएंगे. झंझारपुर, सुपौल, अररिया, मधेपुरा और खगड़िया में इस चरण में वोटिंग होगी. एनडीए और महागठबंधन उम्मीदवारों के बीच ही इस फेज की सीटों पर आमने-सामने की टक्कर देखी जा रही है. वहीं इस चरण की जिन पांच सीटों पर मतदान होना है उन सीटों पर पिछले चुनाव में एक ऐसे फैक्टर ने अपना प्रभाव दिखाया था, जिसपर नजरें इसबार भी सभी उम्मीदवारों की है.

महिला वाेटरों का वोट होगा अहम..

बिहार में तीसरें चरण का मतदान जिन पांच सीटों पर है. वहां पिछले लोकसभा चुनाव में महिला मतदाताएं बड़ी अहम फैक्टर बनकर सामने आयी थीं. महिलाओं ने इन सभी सीटों पर पुरुषों से अधिक संख्या में मतदान किए थे. पांचों सीट पिछली बार एनडीए की झोली में गयी थी और उनके उम्मीदवार जीते थे. मधेपुरा में 56.59 प्रतिशत पुरुष तो 65.3 प्रतिशत महिलाओं ने वोट डाले थे. अररिया में 60.55 प्रतिशत पुरुष तो 69.43 फीसदी महिलाओं के वोट थे. सुपौल में 71.68 प्रतिशत महिला तो 60.09 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान किया था. खगड़िया में पिछले लोकसभा चुनाव में 60.99 प्रतिशत महिला तो 52.73 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान किए थे. वहीं झंझारपुर में 63.83 प्रतिशत महिला तो 51.15 प्रतिशत पुरुषों ने वोट डाले थे. इसबार भी महिला वोटरों पर सभी उम्मीदवारों की नजरें गड़ी हैं क्योंकि इन सीटों पर पिछली बार जीत-हार में इनके वोटों की बड़ी भूमिका रही थी.

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मधेपुरा की लड़ाई..

मधेपुरा में इसबार लालू यादव की प्रतिष्ठा दांव पर है. यादव बाहुल्य इस सीट पर राजद ने प्रो कुमार चंद्रदीप को उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर कभी शरद यादव और लालू यादव टकराते रहे और एक दूसरे को हराते रहे हैं. 2014 में यहां से पप्पू यादव भी राजद के सिंबल पर जीते हैं. राजद ने इसबार चुनावी मैदान में नए प्रत्याशी को उतारा है.

अररिया की लड़ाई..

अररिया में राजद ने तस्लीमुद्दीन के बेटे शाहनवाज आलम को मैदान में उतारा है. भाजपा ने यहां मौजूदा सांसद प्रदीप सिंह को फिर से मौका दिया है. इस सीट पर हिंदू और मुस्लिम दोनों वर्ग की अनुसूचित, पिछड़ा और अति पिछड़ा आबादी निर्णायक भूमिका निभाती है. राजद प्रत्याशी शाहनवाज के सामने अपने बड़े भाई को मनाने की पहली चुनौती यहां है.

सुपौल सीट की लड़ाई..

सुपौल में सामान्य वर्ग के वोटरों का दबदबा रहता है. राजद ने अनुसूचित जाति के चंद्रहास चौपाल को यहां उम्मीदवार बनाया है. उनकी लड़ाई जदयू के दिलेश्वर कामत से है जो अति पिछड़ा समाज से आते हैं. दोनों उम्मीदवार सामान्य वर्ग के वोटरों को अपने पक्ष में लाना चाहेंगे, ताकि जीत सुनिश्चित हो सके.

झंझारपुर सीट की लड़ाई..

झंझारपुर में जदयू ने मौजूदा सांसद रामप्रीत मंडल को मैदान में उतारा है. महागठबंधन में इस सीट पर मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी से संजय महासेठ उम्मीदवार बनाए गए हैं. बसपा उम्मीदवार बनकर उतरे गुलाब यादव ने इस सीट के मुकाबले को रोचक बना दिया है. पिछले चुनाव में जदयू के रामप्रीत मंडल ने राजद उम्मीदवार रहे गुलाब यादव को ही सीधे टक्कर में हराया था. सीट वीआईपी के पास गयी तो गुलाब यादव बसपा से टिकट लेकर मैदान में उतर गए हैं.

खगड़िया का मुकाबला..

खगड़िया सीट महागठबंधन ने वामदल के पास गयी है. माकपा ने यहां ये संजय कुमार को उतारा है. जबकि एनडीए की ओर से चिराग पासवान की पार्टी लोजपा(रामविलास) ने राजेश वर्मा को उम्मीदवार बनाया है. राजेश वर्मा के पास इसबार कई चुनौतियां है. भागलपुर से ताल्लुक रखने वाले राजेश वर्मा पर ‘बाहरी उम्मीदवार’ के तमगे को मिटाकर वोटरों को अपने पक्ष में रखने की चुनौती है. इस क्षेत्र में यादव, मुस्लिम, निषाद, कुर्मी-कुशवाहा और सवर्ण उम्मीदवार की अहम भूमिका रहती है. पिछले दो चुनाव में लोजपा को यहां जीत मिली है.

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