लोकसभा चुनाव में इस बार चालीस फीसदी नये चेहरे चुनाव मैदान में उतरेंगे. एनडीए हो या महागठबंधन, सभी के घटक दलों में जाति और उम्र के हिसाब से अधिक से अधिक नये चेहरे को अवसर देने की तैयारी है. भाजपा में कुछ पुराने चेहरे भी चुनाव मैदान में आ सकते हैं, लेकिन, यहां भी पार्टी ने चालीस से पचपन की उम्र वाले नेताओं को लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाने में तवज्जो देने की योजना तैयार की है. जदयू समेत दूसरे दलों में भी इसी फार्मूले पर प्रत्याशी उतारे जायेंगे. महागठबंधन में राजद, कांग्रेस और वामदलों में भी युवा चेहरे को उतारने की तैयारी है. एक से दो दिनों में भाजपा अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करने वाली है.
एनडीए और महागठबंधन, दोनों का जोर अति पिछड़ी जातियों पर
सामाजिक समीकरण के हिसाब से एनडीए और महागठबंधन का जोर अति पिछड़ी जातियों पर होगा. भाजपा के भीतर अति पिछड़ी जातियों में वैसी जातियों को तरजीह दिये जाने की तैयारी है, जिनका अब तक संसदीय चुनाव में खाता नहीं खुल पाया है. जदयू में भी ऐसे नेताओं की तलाश हो रही है. एनडीए में जहां घटक दलों की ओर से इसका सामूहिक ख्याल रखा जायेगा. वहीं, महागठबंधन में राजद, कांग्रेस और वामदलों की उम्मीदवारों की सूची में अति पिछड़ी जातियां ही आगे होंगी. राजद ने अपने समीकरण में ए टू जेड की बात कही है, लेकिन पार्टी का मुख्य फोकस माय समीकरण को दुरुस्त रखने पर होगी.
सीमांचल में ओवैसी होंगे फैक्टर
प्रदेश में सीमांचल की सीटों पर इस बार लोकसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर ध्रुवीकरण की संभावना है. यहां ओवैसी की पार्टी ने तकरीबन सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर रखी है. जाहिर है कि ओवैसी की पार्टी से बड़ी संख्या में महानगरों में पढ़े लिखे युवा उम्मीदवार बनने की कतार में हैं.
एनडीए में हैं ये दल
एनडीए में भाजपा, जदयू, हम ,उपेंद्र कुशवाहा की अध्यक्षता वाली रालोजद, चिराग पासवान की अध्यक्षता वाली लोजपा रामविलास और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की अध्यक्षता वाली हम पार्टी शामिल है. पशुपति पारस की अध्यक्षता वाली रालोजपा अभी भी एनडीए में है लेकिन उन्हें कोई सीट नहीं िमल पायी है.
महागठबंधन में शामिल दल
महागठबंधन में राजद सबसे बड़ी पार्टी है.वहीं कांग्रेस, भाकपा माले, सीपीआइ और सीपीएम इसके घटक दल हैं.
भाजपा के आधा दर्जन सांसद हैं उम्रदराज
कयास लगाये जा रहे हैं कि भाजपा की सूची में अधिकतर युवा चेहरे ही सामने लाये जायेंगे. वैसे भी पार्टी में आधा दर्जन सांसद सत्तर की उम्र पार वाले हैं. ऐसे में पार्टी ने उन्हें दोबारा उम्मीदवार बनाने की बजाय उनका विकल्प तलाशा है. इसी प्रकार लोकसभा सदस्यों के आधार पर राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी जदयू में भी उम्रदराज सांसदों के चेहरे पर तलवार लटक रही है. पार्टी अपने मौजूदा सामाजिक समीकरण से ही अपेक्षाकृत युवा उम्मीदवारों पर दावं लगा सकती है.
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