मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव इस साल के अंत तक होने हैं. इससे पहले सत्तारूढ़ भाजपा को जोरदार झटका लगा है. दरअसल, वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी ने राजधानी भोपाल स्थित कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय में मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ की उपस्थिति में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.
आपको बता दें कि इससे पहले दिन में भाजपा के एक अन्य पूर्व विधायक राधेलाल बघेल ने भी कमलनाथ की उपस्थिति में कांग्रेस का दामन थामा है. इस प्रकार से भाजपा के नेताओं का पार्टी का दामन छोड़ने की प्रक्रिया ने टेंशन बढ़ा दी है. कांग्रेस में शामिल होने के बाद पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने आरोप लगाया कि जब उनकी पत्नी को कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण इंदौर के एक अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा तब उन्हें प्रशासनिक तंत्र की ओर से कोई मदद मुहैया नहीं करवाई गयी. इसके बाद उनकी पत्नी की मृत्यु हो गयी.
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पूर्व मंत्री दीपक जोशी के इस आरोप पर सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आयी है. उन्होंने भाजपा सरकार पर उनके दिवंगत पिता कैलाश जोशी की विरासत को नजरअंदाज करने का भी गंभीर आरोप लगाया है. अब देखना होगा कि इस आरोप का भाजपा क्या जवाब देती है और जोशी के कांग्रेस में शामिल होने का विधानसभा चुनाव पर क्या प्रभाव पड़ता है.
उल्लेखनीय है कि करीब 60 वर्षीय पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने 2003 में देवास जिले के बागली से पहली बार विधानसभा में प्रवेश किया और बाद में उसी जिले की हाटपिपलिया सीट से दो बार (2008 और 2013 में) सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा. अपनी तीसरी चुनावी जीत के बाद, जोशी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में शामिल हुए और 2018 तक इसके सदस्य बने रहे. जोशी 2018 में हाटपिपलिया से कांग्रेस के मनोज चौधरी से चुनाव हार गये. चौधरी 2020 में भाजपा में शामिल हो गये और बाद में उपचुनाव में हाटपिपलिया से फिर से जीत गये.
मनोज चौधरी और तत्कालीन कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक 20 से अधिक विधायकों के मार्च 2020 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने से राज्य में कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गयी और भाजपा की सरकार बनी. माना जाता है कि दीपक जोशी तब से भाजपा संगठन में काफी हद तक दरकिनार कर दिये गये थे.