जबलपुर : मध्यप्रदेश हाइकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर भोपाल गैस (Bhopal Gas Tragedy) पीड़ितों के लिए बने अस्पताल भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (BMHRC) में गैस पीड़ितों के इलाज का बंदोबस्त करने के संबंध में 21 अप्रैल तक विस्तृत हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है. बीएमएचआरसी में केवल कोविड-19 (Covid19) के मरीजों का उपचार करने के 23 मार्च 2020 के राज्य सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (Public Interest Litigation) पर अदालत ने यह नोटिस जारी किया है.
याचिका ‘भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन’ ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने बताया कि जनहित याचिका पर बुधवार (15 अप्रैल, 2020) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मध्यप्रदेश हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस एके मित्तल और जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई.
उन्होंने कहा कि सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और बीएमएचआरसी में गैस पीड़ितों के इलाज के संबंध में 21 अप्रैल तक विस्तृत हलफनामा दायर करने का आदेश दिया. नागरथ ने कहा कि राज्य सरकार के इस निर्णय से बीएमएचआरसी में इलाज कराने वाले गैस पीड़ित मरीज परेशान हैं.
उन्होंने अदालत को बताया कि यह अस्पताल केवल भोपाल गैस पीड़ितों के इलाज के लिए ही बनाया गया है, लेकिन राज्य सरकार के आदेश ने उन्हें ही इस अस्पताल में उपचार से वंचित कर दिया है. नागरथ ने कहा कि बीएमएचआरसी में प्रति माह करीब 30,000 भोपाल गैस पीड़ित मरीज ओपीडी में इलाज कराने पहुंचते हैं.
उन्होंने कहा कि 16 मार्च एवं 21 मार्च, 2020 के बीच करीब 5,000 गैस पीड़ित इलाज कराने पहुंचे, जिनमें से 180 को इस अस्पताल में भर्ती किया गया था. कोविड19 के इलाज के लिए इस अस्पताल को आरक्षित करने से ये सभी लोग प्रभावित हुए हैं.
गैस पीड़ितों के लिए पिछले तीन दशकों से अधिक समय से काम कर रहे संगठनों का दावा है कि 2-3 दिसंबर, 1984 की दरम्यानी रात यूनियन कार्बाइड के भोपाल स्थित कारखाने से रिसी जहरीली गैस मिक से अब तक 20,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 5.74 लाख लोग प्रभावित हुए हैं.