क्या होगा धनंजय के स्कूटर का? गोड्डा का आदिवासी दंपती अब हवाई जहाज से लौटेगा झारखंड

Jharkhand News, Godda News in Hindi, Dhananjay Manjhi, Dhananjay Hansda, Soni Hembram, Adani Foundation, Godda, Twitter, Tweet, What About Scooter, Gwalior news in Hindi, Madhya Pradesh News in Hindi, Dashrath Manjhi: झारखंड 27 साल के बेरोजगार आदिवासी युवक धनंजय मांझी ने पत्नी के टीचर बनने का सपना साकार करने के लिए 1300 किलोमीटर की दूरी स्कूटी से नाप दी. वह रातोंरात हीरो बन गया. उसकी मुश्किलें दूर करने के लिए गोड्डा से ग्वालियर तक का प्रशासन आगे आया. पेट्रोल के लिए पत्नी के गहने बेचने वाले धनंजय और उसकी पत्नी सोनी के लिए अडाणी फाउंडेशन ने हवाई जहाज के टिकट की व्यवस्था कर दी, तो सोशल मीडिया पर लोग पूछने लगे : अब स्कूटर का क्या होगा?

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 7, 2020 5:18 PM

रांची : झारखंड 27 साल के बेरोजगार आदिवासी युवक धनंजय मांझी ने पत्नी के टीचर बनने का सपना साकार करने के लिए 1300 किलोमीटर की दूरी स्कूटी से नाप दी. वह रातोंरात हीरो बन गया. उसकी मुश्किलें दूर करने के लिए गोड्डा से ग्वालियर तक का प्रशासन आगे आया. पेट्रोल के लिए पत्नी के गहने बेचने वाले धनंजय और उसकी पत्नी सोनी के लिए अडाणी फाउंडेशन ने हवाई जहाज के टिकट की व्यवस्था कर दी, तो सोशल मीडिया पर लोग पूछने लगे : अब स्कूटर का क्या होगा?

न्यूज एजेंसी एएनआइ (ANI) ने ट्वीट करके यह जानकारी दी कि गर्भवती पत्नी को परीक्षा दिलाने के लिए स्कूटर पर झारखंड के गोड्डा से ग्वालियर तक की यात्रा करने वाले दंपती को वापसी के लिए हवाई जहाज का टिकट मिल गया है. एक कॉर्पोरेट ग्रुप ने उसके लिए हवाई जहाज के टिकट की व्यवस्था की है.’ ट्वीट में आगे लिखा गया है कि धनंजय ने बताया, ‘अपने जीवन में हम कभी हवाई जहाज पर नहीं चढ़े. हमारी मदद करने के लिए हम उन्हें धन्यवाद देते हैं.’

देर रात किये गये इस ट्वीट को 170 बार रीट्वीट किया जा चुका है. 2 हजार से अधिक लोगों ने लाइक किये हैं और 50 से अधिक लोगों के कमेंट आये हैं. अधिकतर लोगों ने एक ही सवाल किया है. अब स्कूटर का क्या होगा? 12 घंटे पहले एक शख्स ने लिखा, ‘स्कूटर का क्या? क्या वे लोग स्कूटर को वहीं छोड़ देंगे.’ इसके जवाब में एक महिला ने लिखा, ‘आप भी मेरी तरह सोचते हैं.’

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इस ट्वीट पर रिषिका, जो खुद को स्टूडेंट बताती हैं, ने उन्हें समझाया. लिखा, ‘दोस्तों, वे धन्यवाद बोल रहे हैं. मतलब स्कूटर बाद में आ जायेगा.’ एक व्यक्ति ने लिखा, ‘सिर्फ मैं ही ऐसा सोच रहा हूं या सभी लोग स्कूटर के बारे में ही सोच रहे हैं.’ इससे पहले एक व्यक्ति ने जानकारी दी, ‘अभी-अभी खबर आ रही है कि उस दंपती का स्कूटर भी कॉर्पोरेट ग्रुप ने तत्काल ट्रांसपोर्ट करवा दिया है.’

बावजूद इसके लोगों की जिज्ञासा थमने का नाम नहीं ले रही थी. लोग एक ही सवाल कर रहे थे, ‘लेकिन, स्कूटर कैसे वापस आयेगा?’ अब देखिये, लोगों ने किस तरह से स्कूटर को लाने के बारे में अपने सवाल किये : स्कूटर का क्या फिर?, ठीक है, लेकिन अभी स्कूटर कहां है?, स्कूटर के बदले में टिकट दिया तो?

पंकज कुमार ने गुस्से में सवाल किया है, ‘उस कॉर्पोरेट कंपनी का नाम लेने में शर्म क्यों आ रही है. वह अडाणी ग्रुप है, जिसने दंपती की वापसी के लिए रिटर्न टिकट की व्यवस्था की है. उनके वाहन को भी भेजने की व्यवस्था कर दी है.’

विराज ठक्कर लिखते हैं, ‘स्कूटर आदि आराम से ट्रेन से कभी भी भेज सकते हैं. ज्यादा दिमाग मत लगाओ. मेन टॉपिक पर तो ध्यान दो. उनकी कोशिशों की तारीफ होनी चाहिए.’ वहीं, एक शख्स ने लिखा है कि ऐसे ही नागरिकों की वजह से, जो अपने आसपास रहने वाले लोगों की चिंता करते हैं, इस महामारी से भारत मजबूती से लड़ रहा है. धन्य हो.

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उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के कारण ट्रेन और बस सहित यात्रा का कोई साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण झारखंड के गोड्डा से धनंजय अपनी गर्भवती पत्नी सोनी हेम्ब्रम (22) को स्कूटर पर बिठाकर डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) की परीक्षा दिलाने के लिए 30 अगस्त को ग्वालियर पहुंचा था.

इस सफर के दौरान बारिश और खराब सड़कों की वजह से उसकी पत्नी को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. बावजूद इसके, तीन दिन में करीब 1300 किलोमीटर का सफर तय करके दोनों ग्वालियर पहुंचे, ताकि सोनी परीक्षा दे सके और शिक्षक बनने का उसका सपना साकार हो सके.

Posted By : Mithilesh Jha

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