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तानसेन संगीत समारोहः संगीत के जलसे में दौड़ी रागों की गर्माहट, इन दिग्गज कलाकारों ने दी प्रस्तुति

MP News : तानसेन समारोह में प्रातःकालीन सभा में दूसरे कलाकार के रूप में इंदौर के मनोज सर्राफ़ ने नोम तोम के आलाप से शुरू करके राग चारुकेशी में दो बंदिशें पेश कीं.

ग्वालियर (एमपी) : तानसेन संगीत समारोह सोमवार को प्रातःकालीन सभा में जहां ध्रुपद गायन की बहार थी तो वहीं इसका समापन सारंगी वादन की मिठास के साथ हुई. शुरुआत राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्व विद्यालय के आचार्यों व विद्यार्थियों के ध्रुपद गायन से हुई. राग “अहीर भैरव” में “एक दंत लंबोदर मुसिक वाहन सिद्ध सदन गिरिजा सुत गणेश” विलंबित ध्रुपद रचना के बोल थे. इसके बाद राग “बैरागी” और सूल ताल में ध्रुपद “डम डम डमरू बाजे” की प्रस्तुति दी. पखावज पर जयंत गायकवाड़ और तबला पर विनय राठौर ने संगत की.

तानसेन समारोह में प्रातःकालीन सभा में दूसरे कलाकार के रूप में इंदौर के मनोज सर्राफ़ ने नोम तोम के आलाप से शुरू करके राग चारुकेशी में दो बंदिशें पेश कीं. धमार में निबद्ध पहली बंदिश के बोल थे “आज कैसी धूम मची ब्रज में”. इसके बाद सूलताल में दूसरी बंदिश पेश की जिसके बोल थे “बांके बनबारी”. उन्होंने रागदारी की बारीकियों के साथ दोनों ही बंदिशों को कौशल से गाया. उनके साथ संजय पंत आगले ने पखावज पर संगत की.

तानसेन की धरती पर जीवंत हुई घरानों की गायकी

दोपहर के राग ” शुद्ध सारंग में संजय गरुड़ ने जब एक ताल में विलंबित बड़ा ख्याल ” हे मानत नाहिं पिया…” का जब खनकदार आवाज में गायन किया तो गान मनीषी तानसेन की धरती घरानेदार गायकी से जीवंत हो गई. पुणे से आए गरुड़ के गायन में मूर्धन्य गायक (स्व) भीमसेन जोशी और किराना घराने की बारीकियां साफ थीं. उन्होंने सुरीली तान और सुंदर अलापचारी के साथ तीन ताल में निबद्ध छोटा ख्याल ” अब मोरी बात मान ले..” प्रस्तुत कर संगीत रसिकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. गरुड़ ने किरवानी में सजनवा तुम क्या जानो पीर ” ठुमरी सुनाकर रसिकों को विरह रस में डुबोया तो भीमसेन जोशी का प्रसिद्ध भजन ” बाजे मुरलिया बाजे..” सुनाकर कृष्ण और गोपियों के निश्छल प्रेम का अहसास कराया. अनिल मोघे ने तबले पर और जितेन्द्र शर्मा ने हारमोनियम पर संगत की. तानसेन समारोह में सोमवार को प्रातःकालीन सभा में तीसरे कलाकार के रूप में संजय गरुड़ की प्रस्तुति हुई.

राग “जौनपुरी” में सारंगी वादन सुन झूमे रसिक

तानसेन समारोह में सोमवार की प्रातःकालीन सभा का समापन सुविख्यात सारंगी वादक पं. भारत भूषण गोस्वामी के सारंगी वादन से हुआ. सारंगी वादन की मिठास से रसिक सराबोर हो गए. नई दिल्ली से पधारे पं. भारत भूषण ने राग “जौनपुरी” में सारंगी वादन किया. यह राग अत्यंत मधुर और लोकप्रिय राग है. उन्होंने इस राग में विलंबित गत एक ताल में और द्रुत लय तीन ताल में प्रस्तुत की. इसके बाद मिश्र भैरवी में बनारस घराने की ठुमरी व दादरा की मधुर धुन निकाली. पं. भारत भूषण ने सारंगी वादन में बड़ी निपुणता के साथ राग विस्तार तो किया ही, साथ ही तान की बारीकियों को बहुत ही सुरीले अंदाज में पेश कर समा बांध दिया. इनके साथ तबले पर उस्ताद सलीम अल्लाहवाले ने कमाल की संगत की.

Posted By : Amitabh Kumar

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