राष्ट्र रक्षा के मोर्चे पर देश की कई बेटियां अपना फर्ज निभा रही हैं, उन्हीं में से एक हैं अवनि चतुर्वेदी. देश की पहली महिला फाइटर पायलट रह चुकीं अवनि के नाम अब एक और रिकॉर्ड दर्ज होने जा रहा है. वह युद्धाभ्यास में शामिल होने के लिए जापान जा रहे भारतीय वायु सेना के दल में शामिल हैं. इसके साथ ही वह देश की पहली ऐसी महिला फाइटर पायलट बन जायेंगी, जिसने अंतरराष्ट्रीय युद्धाभ्यास में लड़ाकू विमान उड़ाया हो.
जापान में 16 से 26 जनवरी तक होने वाले वायु सेना के युद्धाभ्यास का दल बीते कुछ दिन पूर्व जापान के लिए रवाना हो गया. इस हवाई युद्ध अभ्यास में पहली बार भारत से महिला पायलट अवनि चतुर्वेदी हिस्सा ले रही हैं. इस तरह विदेशी धरती पर होने वाले किसी हवाई युद्ध अभ्यास हिस्सा लेने वालीं अवनि देश की पहली महिला पायलट बन गयी हैं. ऐसा पहली बार नहीं है कि अवनि की तारीफ हो रही हो. इससे पहले भी वह कई बार अपनी उपलब्धियों से वाहवाही लूट चुकी हैं.
स्क्वाड्रन लीडर अवनि फाइटर प्लेन सुखोई 30MKI की पायलट हैं. फ्रांसीसी वायु सेना सहित भारत आने वाली विदेशी टुकड़ियों के साथ वह युद्धाभ्यास में भाग लेती रही हैं. एक बार फिर अपनी कामयाबी से वह उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गयी हैं, जो इस क्षेत्र में आना चाहते हैं. अवनि चतुर्वेदी का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा में साल 27 अक्तूबर, 1993 में हुआ था. उनके पिता मध्य प्रदेश के जल संसाधन विभाग में इंजीनियर हैं, जबकि उनकी माता एक गृहणी हैं. जबकि, उनके मामा प्रेम प्रकाश शर्मा सेना के रिटायर्ड कर्नल हैं और उनके भाई निरभ भारतीय सेना में कैप्टन हैं. अपने बड़े भाई से ही प्रेरित होकर अवनि ने भारतीय सेना में शामिल होने का निर्णय लिया.
अवनि की प्रारंभिक शिक्षा मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के एक छोटे हिस्से देवलैंड से हुई. वह शुरू से ही पढ़ने में काफी होशियार रही थीं. 10वीं और 12वीं दोनों ही बोर्ड परीक्षा में उन्होंने अपने स्कूल में टॉप किया था. भारतीय वायुसेना में शामिल होने से पहले उन्होंने राजस्थान के वनस्थली विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस में बीटेक में अपनी डिग्री पूरी की. साल 2014 में वनस्थली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही वह कॉलेज के फ्लाइंग क्लब में शामिल हो गयीं और यही से उनका मन उड़ान भरने के लिए लगा. इस बीच उन्होंने रैनोसिस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड में एसोसिएट सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में 6 महीने की इंटर्नशिप पूरी की. उसके बाद आइबीएम में सिस्टम इंजीनियर के रूप में भी काम किया. अक्तूबर 2015 में, भारतीय रक्षा मंत्रालय ने 5 साल के प्रयोग के हिस्से के रूप में महिलाओं को वायु सेना में अनुमति देने का निर्णय लिया. साल 2016 में, अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना कंठ के साथ, तेलंगाना में वायु सेना अकादमी में अपना प्रारंभिक बुनियादी प्रशिक्षण पूरा करने के बाद भारतीय वायु सेना में फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में नियुक्त होने वाली पहली महिला बनीं. अभी भारतीय वायुसेना में 17 महिला लड़ाकू पायलट हैं.
अवनि के पायलट बनने की कहानी काफी दिलचस्प रही है. जब वह तीसरी क्लास में थीं, तब पहली बार उन्होंने टीवी पर कल्पना चावला की स्पेसशिप क्रैश की खबर देखी. इस खबर ने उनकी मां को अंदर से हिलाकर रख दिया. वह टीवी स्क्रीन के सामने रो रही थीं. फिर अवनि उनके पास गयीं और बोली, ‘मां आंसू मत बहाओ. आपकी बेटी अगली कल्पना चावला बनेगी.’
साल 2018 और दिन 22 फरवरी, अवनि के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पल था. इस दिन उन्होंने कुछ ऐसा काम कर डाला कि देश का हर शख्स उनके बारे में जानने को उत्सुक था. दरअसल, अवनि ने गुजरात के जामनगर एयरबेस से मिग-21 बाइसन से अकेले उड़ान भरकर पहली बार में इसे मुक्कमल कर डाला. इसके साथ ही वह फाइटर एयरक्राफ्ट उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला पायलट के रूप में इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गयीं. इस उड़ान से उन्होंने ये साबित कर दिया कि युद्ध जैसी स्थिति में वह सुखोई जैसे एयरक्राफ्ट भी आसानी से उड़ा सकती हैं.
अपनी इस उड़ान से उन्होंने साबित कर दिया कि नारी शक्ति में किसी भी मिशन को फतेह करने की काबिलियत है. देश सेवा के प्रति उनके जज्बे, जुनून और उपलब्धियों को देखते हुए साल 2020 में देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर अवनि को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया.
अवनि जब बच्ची थी, तो हमेशा वह आसमान की तरफ देखा करती थी. वह हमेशा से एक अंतरिक्ष यात्री बनना चाहता थीं और कल्पना चावला उनकी आदर्श थीं. अवनि बचपन में अंतरिक्ष विज्ञान और एयरोस्पेस से संबंधित लेखों की सभी कटिंग रखा करती थीं. ऐसी ही एक कटिंग से जब उन्हें पता चला कि विंग कमांडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले वायु सेना के पायलट हैं.