नई दिल्ली/भोपाल : बात-बात पर विरोध-प्रदर्शनों के दौरान हाथ में पत्थर उठाकर हिंसा फैलाना और इन विरोध-प्रदर्शनों की आड़ में सरकारी या निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना पत्थरबाजों के लिए आसान नहीं होगा. पत्थरबाजी से सरकारी या निजी संपत्ति को हुए नुकसान की वसूली के लिए देश में कानून बनने शुरू हो गए हैं. इस नए कानून के तहत पत्थरबाजी के दौरान सरकारी या निजी संपत्ति को हुए नुकसान के बराबर मूल्य की वसूली पत्थरबाजों की संपत्ति से की जाएगी. यानी कोई पत्थरबाज एक पत्थर से किसी एक लाख रुपये की निजी या सरकारी संपत्ति का नुकसान पहुंचाता है, तो उतनी राशि की वसूली पत्थरबाज की संपत्ति से की जाएगी. इस नए कानून को लागू करने की प्रक्रिया मध्य प्रदेश में शुरू कर दी गई है और यहां के न्यायाधिकरण द्वारा इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है.
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, मध्य प्रदेश सरकार ने खरगोन शहर में 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान हुई हिंसा के मामले में गठित दावा न्यायाधिकरण के कामकाज और क्षेत्राधिकार के संबंध में सार्वजनिक और निजी संपत्ति वसूली कानून के तहत नियमों को धिसूचित कर दिया है. शिवराज सिंह चौहान सरकार ने खरगोन हिंसा में शामिल लोगों से नुकसान की वसूली के लिए सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश डॉ शिवकुमार मिश्रा की अध्यक्षता और सेवानिवृत्त सचिव प्रभात पाराशर के सदस्यता वाले दो सदस्यीय न्यायाधिकरण का गठन किया था.
मध्य प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति के नुकसान की वसूली कानून के तहत नियमों की अधिसूचना के अनुसार, कार्यवाही के किसी भी चरण में किसी भी पक्षकार की मौत की स्थिति में मुआवजे का दावा समाप्त नहीं होगा और उसकी संपत्ति से वसूली की जा सकेगी. नियमों के अनुसार, प्रदेश सरकार तीन अधिकारियों की एक समिति भेजेगी और न्यायाधिकरण के अध्यक्ष न्यायाधिकरण की सहायता के लिए समिति में से दावा आयुक्त (क्लेम कमिश्नर) नियुक्त कर सकते हैं.
Also Read: पीएम मोदी आज जम्मू-कश्मीर में, 370 हटने के बाद आतंकवादी घटनाओं में 42% की कमी, गायब हो गये पत्थरबाज
अधिसूचना में बताया गया है कि न्यायाधिकरण के कामकाज की भाषा हिंदी होगी. न्यायाधिकरण खुली (आन कैमरा) सुनवाई के बारे में निर्णय ले सकता है, जिसमें गवाह शपथ के तहत सबूत देंगे. यह कानून विरोध-प्रदर्शन और दंगों के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार लोगों और संगठनों से नुकसान की वसूली का प्रावधान करता है. इसे पिछले साल दिसंबर में मध्य प्रदेश विधानसभा द्वारा पारित किया गया था. अधिकारियों ने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश मिश्रा और सेवानिवृत्त सचिव पाराशर के दो सदस्यीय न्यायाधिकरण के तीन माह के अंदर अपना काम पूरा करने की उम्मीद है.