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Madhya Pradesh विधानसभा: सपा- बसपा समर्थन के साथ शिवराज ने जीता विश्वास मत

मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया है. इस दौरान सदन में एक भी कांग्रेस विधायक मौजूद नहीं थे. करीब हफ्ते भर के सियासी ड्रामे के बाद शिवराज सिंह ने सोमवार शाम मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया है. इस दौरान सदन में एक भी कांग्रेस विधायक मौजूद नहीं थे. करीब हफ्ते भर के सियासी ड्रामे के बाद शिवराज सिंह ने सोमवार शाम मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. मंगलवार को उन्होंने विश्वास मत प्रस्ताव पेश किया और यह सर्वसम्मति से पारित हो गया. इस दौरान आश्चर्यजनक रूप से कांग्रेस के विधायक सदन से नदारद रहे वहीं सपा,बसपा और निर्दल विधायकों ने विश्वास मत का समर्थन किया. इससे पहले शिवराज के प्रस्ताव पेश करने से पहले स्पीकर एनपी प्रजापति ने इस्तीफा दे दिया. वर्तमान में सदन में विधायकों की संख्या 206 है. बहुमत साबित करने के लिए भाजपा को 104 वोटों की जरूरत थी, जबकि उसके पास 107 विधायक हैं. अब तक की सूचना के मुताबिक, विधानसभा सत्र 27 मार्च तक चलेगा.

रिकॉर्डः चौथी बार सीएम बने शिवराज

करीब सवा साल बाद शिवराज सिंह चौहान फिर से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए. उन्हें राज्यपाल लालजी टंडन ने सोमवार को राजभवन में हुए एक सादे समारोह में राज्य के 19वें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी. शिवराज चौथी बार इस पद पर काबिज होने वाले मध्ये प्रदेश के एक मात्र नेता हैं. शपथ ग्रहण के बाद शिवराज ने कहा कि अभी एक ही प्राथमिकता है कोरोना संक्रमण को रोकना. पहले स्थिति की समीक्षा करूंगा और तत्काल फैसले लूंगा. इसके बाद शिवराज सीधे वल्लभ भवन पहुंचे और कोरोना से जुड़े मसलों की एक फाइल पर दस्तखत किए. इसके बाद अधिकारियों संग बैठक कर आवश्यक निर्देश दिए.

सामने खड़ी बड़ी चुनौती

मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं. दो विधायकों के निधन के बाद दो सीटें पहले से खाली हैं, हाल ही में कांग्रेस के 22 विधायक सिंधिया प्रकरण में बागी हो गए और भाजपा में शामिल हो गए. इस तरह कुल 24 सीटें खाली हैं. इन पर 6 महीने में चुनाव होने हैं. वर्तमान में भाजपा के 107 विधायक हैं. चार निर्दलीय उसके समर्थन में आए तो भाजपा+ की संख्या 111 हो जाती है. इस स्थिति में 24 सीटों पर उपचुनाव होने पर भाजपा को बहुमत के लिए पांच और सीटों की जरूरत होगी. अगर निर्दलीयों ने भाजपा का साथ नहीं दिया तो उपचुनाव में पार्टी को कम से कम नौ सीटें जीतनी होंगी.

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