Madhya Pradesh: निर्माण कार्य के दौरान मिले मुगल-काल के सिक्के, ग्रामीणों ने आपस में बांटा, शिकायत दर्ज
जानकारी हो कि हटा जिले के मडियाडे ग्राम पंचायत के माडा में एक निर्माण स्थल पर खुदाई का काम कर रहे मजदूर को गुरुवार को सिक्के मिले है. यह मामला पूरे गांव में फैल गया तो कई ग्रामीण सिक्कों की तलाश में मौके पर पहुंच गए. पुलिस को संदेह है कि उनमें से एक को सिक्कों से भरा तांबे का टूटा हुआ कलश मिला था.
Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के दमोह जिले में एक निर्माण कार्य के दौरान कई मुगल-काल के चौकोर आकार के सिक्के मिले है. साथ ही बताया जा रहा है कि यह सिक्के संभवत: 14 और 15 शताब्दी की शुरुआत के हैं. मिली जानकारी के अनुसार, ग्रामीणों ने कांसे, चांदी और तांबे से बने कई सिक्कों को अपने घर ले लिया. साथ ही पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों के प्रारंभिक आकलन के अनुसार, ये मुगलकालीन मोहर (सिक्के) हैं.
एक को सिक्कों से भरा तांबे का टूटा हुआ कलश मिला!
जानकारी हो कि हटा जिले के मडियाडे ग्राम पंचायत के माडा में एक निर्माण स्थल पर खुदाई का काम कर रहे मजदूर को गुरुवार को सिक्के मिले है. यह मामला पूरे गांव में फैल गया तो कई ग्रामीण सिक्कों की तलाश में मौके पर पहुंच गए. पुलिस को संदेह है कि उनमें से एक को सिक्कों से भरा तांबे का टूटा हुआ कलश मिला था और वे वितरण के बाद उसे घर ले गए. मौके से जेसीबी संचालक भी गायब है जो खेत की खुदाई कर रहा था वह भी मौके से गायब हो गया है.
तस्वीरें वायरल होने के बाद पुलिस हरकत में आई
कानून के अनुसार, ऐसी खोजों की सूचना पुलिस और पुरातत्व अधिकारियों को देनी होती है. सूत्रों ने कहा कि सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल होने के बाद ही पुलिस हरकत में आई और उन्होंने ग्रामीणों से यह कहते हुए सिक्के वापस करने को कहा कि पुरातत्व विभाग के अधिकारियों द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद उनके खिलाफ भारतीय ट्रेजर ट्रोव एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है.
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पूर्व सरपंच के खेत से मिट्टी खोदने का चल रहा था काम
अधिकारियों ने बताया कि ग्राम पंचायत माड़ो के पूर्व सरपंच सुदामा सिंह लोधी के खेत से मिट्टी खोदने का काम चल रहा था. ग्रामीणों का दावा है कि यहां सिक्कों के अलावा और भी कई तरह की सामग्री के अवशेष मिले हैं. कुछ सिक्कों पर उर्दू और कुछ सिक्कों पर स्वस्तिक का निशान, त्रिशूल आदि अंकित हैं. दमोह का प्राचीन काल से उत्खनन का लंबा इतिहास है. मुगल बादशाह अकबर के शासन काल में दमोह मालवा के प्रांत (सूबा) का हिस्सा था. दमोह के अधिकांश पुराने मंदिरों को मुगलों द्वारा नष्ट कर दिया गया था, और स्थानीय लोगों का कहना है कि किले के निर्माण के लिए सामग्री का उपयोग किया गया था.