मध्य प्रदेश में तीन वर्षीय लैब्राडोर कुत्ते के मालिक और माता पिता की जांच के लिए उसका डीएनए टेस्ट किया जायेगा. मध्य प्रदेश पुलिस ने उसके माता-पिता का पता लगाने के प्रयास में डीएनए परीक्षण करने का फैसला किया है. इससे कुत्ते के असली मालिक का पता लगेगा क्योंकि दो लोगों ने उसपर दावा किया है.
होशंगाबाद पुलिस इस मामले में कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती है कुत्ते पर मालिकाना हक जतानेवाला एक पत्रकार है और दूसरा राजनीतिक कार्यकर्ता है. इस मामले मे होशंगाबाद देहात थाना प्रभारी, हेमंत श्रीवास्तव ने कहा कि लगभग तीन महीने पहले, एक पत्रकार शादाब खान ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उनका तीन साल का कुत्ता कोको गायब था.
बता दें कि 18 नवंबर को शादाब खान ने दावा किया उनका कुत्ता अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के नेता कार्तिक शिवहरे के घर में में है. शादाब ने पुलिस को बुलाया और कुत्ते को अपने साथ ले गया. बाद में, 19 नवंबर को, शिवहारे पुलिस स्टेशन पहुंचे और दावा किया कि कुत्ता उनका था. उन्होंने कहा कि कुत्ते का नाम टाइगर है और उन्होंने कुछ हफ्ते पहले इटारसी से कुत्ता खरीदा था. जबकि होशंगाबाद देहात थाना प्रभारी ने कहा कि कुत्ता दोनों नामों, कोको और टाइगर, और दोनों दावेदारों के साथ दोस्ताना व्यवहार कर रहा है.
उन्होंने कहा कि दोनो ही इस कुते पर स्वामित्व का दावा कर रहे थे इसलिए हमने डीएनए परीक्षण करने का फैसला किया. शादाब खान ने कहा कि कुत्ते के माता-पिता पंचमढ़ी में थे, जबकि शिवहरे ने कहा कि उसके कुत्ते के माता-पिता इटारसी में हैं.
कुत्ते की डीएनए जांच के लिए हेमंत श्रीवास्तव ने कुत्ते के माता-पिता के रक्त के नमूने एकत्र करने के लिए पंचमढ़ी और इटारसी में एक पुलिस दल भेजा है. कुत्ते का रक्त के नमूने शुक्रवार रात जिला पशु चिकित्सक द्वारा एकत्र किए गए थे और पुलिस ने शिवहरे को कुत्ते को रखने की अनुमति देने का फैसला किया.
खान और शिवहरे दोनों ने जोर देकर कहा कि परीक्षण से सच्चाई का पता चलेगा. खान ने कहा, “मैंने अपना स्वामित्व साबित करने के लिए पुलिस को एक टीकाकरण कार्ड सहित सभी दस्तावेज जमा किए हैं और मैंने डीएनए परीक्षण पर जोर दिया है. वहीं शिवहरे ने कहा, “शादाब ने मेरी अनुमति के बिना मेरे घर से कुत्ते को ले लिया और अब डीएनए टेस्ट में सच सामने आयेगा.
Also Read: महंगा पड़ा पुलिस अधिकारी को शोले के गब्बर का डायलॉग मारना, वायरल हो रहा है वीडियो
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक इस बीच, पशु कार्यकर्ता समूह पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) ने पुलिस को असंवेदनशील होने का दोषी ठहराया. राज्य में पेटा के समन्वयक स्वाति गौरव भदौरिया ने कहा कि उचित देखभाल नहीं होने के कारण कुत्ते बीमार पड़ गए हैं. वह तेज बुखार से पीड़ित है. हम चाहते हैं कि पुलिस और उस व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए जिसने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत झूठे स्वामित्व का दावा किया है.
Posted By: Pawan Singh