MP: बेटियों की सुरक्षा और शिक्षा देने में एमपी ने हासिल किए कई मुकाम,कई सरकारी योजनाओं का दिया जा रहा लाभ
National Girl Child Day: अगर एक बालिका को शिक्षा दी जाए, तो पूरा परिवार शिक्षित और समाज शिक्षित होता है. इसलिए बेटियों के सशक्तिकरण के लिए उनके जन्म से लेकर उनकी शिक्षा और सुरक्षा को सुनिश्चित करना समाज के हर वर्ग की ज़िम्मेदारी होनी चाहिए.
National Girl Child Day : आज 24 जनवरी है और आज ही के दिन भारत में राष्ट्रीय बालिका दिवस यानी नेशनल गर्ल चाइल्ड डे मनाया जाता है. ऐसा माना जा रहा है कि देश की महिलाओं को सशक्त करना है, तो सबसे पहले बेटियों को सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ साक्षर और शिक्षित बनाना होगा. सही मायने में, भारत की महिलाएं तभी सक्शत होंगी, जब बच्चियां सुरक्षित, साक्षर और शिक्षित होंगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महिलाओं को सशक्त बनाने और बेटियों को सुरक्षा और शिक्षा प्रदान करने में मध्य प्रदेश ने कई मुकाम हासिल किए हैं.
बेटियों को शिक्षा और सुरक्षा क्यों है जरूरी
भारत की कुल आबादी लगभग 135 करोड़ से अधिक है. इसमें से लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं हैं. देश के विकास में हमेशा से महिलाओं का सराहनीय योगदान रहा है. अगर एक बालिका को शिक्षा दी जाए, तो पूरा परिवार शिक्षित और समाज शिक्षित होता है. इसलिए बेटियों के सशक्तिकरण के लिए उनके जन्म से लेकर उनकी शिक्षा और सुरक्षा को सुनिश्चित करना समाज के हर वर्ग की ज़िम्मेदारी होनी चाहिए.
केंद्र-राज्य में तालमेल जरूरी
आज भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी बेटियों को अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ रहा है. वर्तमान समय में केंद्रीय स्तर पर राजनैतिक इच्छाशक्ति होने के बावजूद भी बेटियों के हित के लिए बनाई गई योजनाओं परिणाम पूरे देश में धरातल पर कम दिखाई दे रहा है. आज इन योजनाओं के निर्माण एवं क्रियान्वयन के बीच की कड़ी को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है. योजनाओं का लाभ प्रत्येक हितग्राही तक पहुंचाने केद्र एवं सभी राज्य सरकारों को तालमेल के साथ कार्य करने की जरूरत है.
कुछ राज्यों में उठाए गए सशक्त कदम
देश में कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां बालिकाओं को सशक्त और सक्षम बनाने के लिए कई निर्णायक कदम उठाए गए हैं. नतीजतन, उन राज्यों की बेटियां कई मायनों में सशक्त हुईं. पिछले 15 सालों के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बालिकाओं के हितों के लिए कई कारगर कदम उठाए हैं. मध्य प्रदेश सरकार ने 2008 में लाड़ली लक्ष्मी योजना की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य बेटियों को बोझ समझने की कुरीति को समाप्त करना और उनको वास्तव में लक्ष्मी का स्वरूप समझने के प्रति जागरूकता को बढ़ाना था.
लाडली लक्ष्मी योजना का लाभ
मध्य प्रदेश में लाडली लक्ष्मी योजना से अभी तक 40 लाख से अधिक बेटियां लाभ प्राप्त कर चुकी हैं. इस योजना से प्रेरणा लेते हुए देश के 8 अन्य राज्यों ने भी इसका क्रियान्वयन प्रारंभ किया है. बेटियों की सुरक्षा, पोषण, स्वास्थ्य एवं उनके उत्तम भविष्य के प्रति समाज में जागरूकता को बढ़ाने के लिए प्रदेश में “पंख अभियान” प्रारम्भ किया गया है. प्रदेश में बेटियों के साथ दुष्कर्म जैसे घिनौने कृत्य रोकने के लिए दोषियों को फास्ट ट्रैक अदालतों से फांसी की सजा दिलाने में राज्य सरकार ने प्रतिबद्धता दिखाई.
महिला सुरक्षा में एमपी अव्वल
मध्य प्रदेश महिलाओं की सुरक्षा के विषय में इस प्रकार ठोस कदम उठाने वाला देश का पहला राज्य है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा बेटियों के उत्थान के लिए वर्ष 2015 में ‘प्रधानमंत्री सुकन्या समृद्धि योजना’ को प्रारंभ किया गया. इस योजना का उद्देश्य बेटियों को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाना है. प्रदेश की बेटियों के प्रति संवेदनशील, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मार्गदर्शन में मध्य प्रदेश सरकार ने बेटियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए 5.35 लाख से अधिक परिवारों को इस योजना से जोड़ कर भारत में एक नया रिकॉर्ड बनाया.
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मध्य प्रदेश में गांव की बेटियों को हर महीने 500 की छात्रवृति
मध्य प्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, जहां बहुत छोटे-छोटे गांव हैं. गांव की बेटियां 12वीं कक्षा तक तो अपने गांव में रह कर पढ़ाई कर लेती हैं, लेकिन कॉलेज की पढ़ाई के लिए गांव से दूर जाना होता है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा ‘गांव की बेटी योजना’ की शुरुआत की है. इस योजना के माध्यम से बेटियां अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए प्रोत्साहन के रूप में छात्रवृति 500 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से 10 महीने तक प्रतिवर्ष प्रदान की जाती है.