बरेली के ‘लाल’ कमलनाथ के सिर सजेगा ताज या फिर बनेंगे 5वीं बार सीएम शिवराज, जानें सियासी इतिहास और MP का घमासान
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम का भाजपा-कांग्रेस के साथ ही बरेली के लोगों को भी बेसब्री से इंतजार है. क्योंकि मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री की मुख्य दौड़ में उनके शहर का लाल कमलनाथ भी हैं. वह पिछली बार वर्ष 2018 में भी मुख्यमंत्री बने थे.
मध्य प्रदेश (MP) में 16वीं विधानसभा का चुनाव खत्म हो चुका है. रविवार यानी कल सुबह मतगणना (काउंटिंग) होगी. चुनाव के परिणाम दोपहर तक आ जाएंगे. इस रिजल्ट पर देश भर के लोगों की निगाह लगी हैं. क्योंकि 3 और 4 दिसंबर को होने वाली एमपी समेत 4 राज्यों के चुनाव की मतगणना के परिणाम से देश की राजनीति की दिशा और दशा तय होगी. मध्य प्रदेश के परिणाम पर भाजपा-कांग्रेस के साथ ही बरेली के विशारतगंज थाना क्षेत्र के अतरछेड़ी गांव के लोगों को भी बेसब्री से इंतजार है. क्योंकि, एमपी के सीएम की मुख्य दौड़ में उनके गांव का बेटा (लाल) कमलनाथ भी हैं. हालांकि, वह पिछली बार वर्ष 2018 में भी सीएम बने थे, लेकिन पूर्व कांग्रेस नेता और वर्तमान केंद्र सरकार के मंत्री ज्योतिराजे सिंधिया की बगावत के कुछ महीने बाद ही सीएम पद से हट गए थे. पूर्व सीएम कमलनाथ 9 बार एमपी की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं. कांग्रेस नेता कमलनाथ का बरेली से गहरा नाता है. उनका पैतृक गांव अतरछेड़ी आंवला तहसील में है. कमलनाथ के पिछली बार सीएम बनने पर अतरछेड़ी में जश्न मनाया गया था. इस बार भी जश्न की तैयारी है. केंद्र सरकार में कई बार कैबिनेट और राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके कमलनाथ के पिता तीन भाई थे.
उनका परिवार सराफा कारोबार से जुड़ा था. कमलनाथ के पिता डॉ. महेंद्रनाथ संस्कृत के विद्वान थे. कई दशक पहले वह तीनों भाइयों के परिवार समेत कानपुर जाकर बस गए थे. वहां से उनका परिवार मध्य प्रदेश चला गया. उनका पैतृक मकान खंडहर बन चुका है. उनके पिता ने कानपुर जाने से पहले अपने मकान का एक हिस्सा गांव के करन सिंह को दे दिया. अब करन सिंह का नाती कमलनाथ के मकान में रहता है. हालांकि, कुछ लोग कमलनाथ को पश्चिम बंगाल का मूलरूप से निवासी भी बताते हैं, तो कोई कानपुर का. मगर, उनकी जड़ें बरेली और कानपुर से जुड़ी हैं. उनकी माता का नाम लीला नाथ, पत्नी का नाम अल्का नाथ और दो पुत्र हैं. उन्होंने छिंदवाड़ा के शिकरपुर गांव में घर बनाया जो महलनुमा है. उनका नई दिल्ली में 1, तुगलक रोड पर भी मकान है.
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बड़े ताऊ को मिला पद्मश्री
गांव के लोगों ने बताया कि कमलनाथ के बाबा केदारनाथ ने गांव में बड़ी हवेली बनाई थी. उनके पिता डॉ. महेंद्रनाथ तीन भाइयों में सबसे छोटे थे. पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त उनके ताऊ डॉ. धर्मेंद्रनाथ इलाहाबाद बोर्ड के चेयरमैन भी रहे. इसके बाद वे वहीं बस गए. कमलनाथ के छोटे ताऊ डॉ. सत्येंद्रनाथ दिल्ली में बस गए और स्पेयर पार्ट्स का कारोबारा शुरू किया. बता दें कि डॉ. महेंद्रनाथ मेरठ कॉलेज में उनके ससुर कुंवर देवेंद्र सिंह के साथ पढ़ते थे. डा.महेंद्रनाथ करीब 60 वर्ष पहले कोलकाता चले गए थे. वहां उन्होंने ईएमसी फैक्ट्री की स्थापना की. अपने गांव के करीबी मित्र कुंवर देवेंद्र सिंह को कंपनी का एमडी बनाया. उनको हमेशा साथ रखा. वह जब भी पैतृक गांव लौटते तो दोस्त को भी साथ लाते थे. गांव के लोगों ने बताया कि दबंगों से परेशान होकर गांव छोड़ गए थे. उन्होंने जायदाद और हवेली में एक स्कूल भी खुलवाया.
संजय गांधी के क्लास फेलो
कमलनाथ का जन्म 18 दिसंबर 1946 को हुआ था. देहरादून में संजय गांधी के सहपाठी थे. कमलनाथ की शुरुआती शिक्षा देहरादून के शालेय शिक्षा निकेतन में हुई. वहां पर इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी भी पढ़ते थे. संजय से दोस्ती के बाद ही वे गांधी परिवार के करीब आए. कमलनाथ ने पहले पिता का कारोबार संभाला और फिर गांधी परिवार की छत्रछाया में राजनीति में भी हाथ आजमने लगे. 1971 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा और पहली बार सांसद बने. इसके बाद वह 9 बार लगातार सांसद चुने गए. कांग्रेस सरकार में केंद्रीय कपड़ा मंत्री समेत कई बार मंत्री रहे.
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बचपन में था मछली पकड़ने का शौक
गांव के लोगों ने बताया कि बचपन में कमलनाथ को मछलियां पकड़ने का शौक था. तब उनकी उम्र करीब 11 साल की रही होगी. वह अपनी पिता की तीसरी पत्नी के पुत्र हैं. यह भी बताया जाता है कि अतरछेड़ी गांव के सरकारी स्कूल में डॉ.महेंद्रनाथ टीचर भी रहे थे. गांव के कुछ दबंग स्कूल में बेवजह खुराफात करते थे. इसी से परेशान होकर महेंद्रनाथ ने अपनी जायदाद भी गांव में ही छोड़ दी. अपनी हवेली में स्कूल खुलवा गए थे.
सीएम शिवराज भी पुराने सियासी
मध्य प्रदेश के निवर्तमान सीएम शिवराज सिंह चौहान काफी पुराने सियासी हैं. वह 4 बार सीएम रह चुके हैं. वह 1990 में पहली बार बुधनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे. इसके बाद 1991 में विदिशा लोकसभा संसदीय क्षेत्र से पहली बार सांसद बने. शिवराज सिंह चौहान 1991-92 में अखिल भारतीय केशरिया वाहिनी के संयोजक और 1992 में अखिल भारतीय जनता युवा मोर्चा के महासचिव बने. वर्ष 1992 से 1994 तक भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महासचिव नियुक्त हुए थे. 2003 में पहली बार सीएम बने थे. शिवराज सिंह चौहान कमलनाथ से 14 साल छोटे हैं.
कांग्रेस-भाजपा नेताओं की जीत के दावे
पांच को राज्यों में मतदान के बाद एग्जिट पोल आ गए हैं. एग्जिट पोल में अलग-अलग मीडिया चैनल और संस्थान दोनों पार्टियों की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. मगर, कुछ एजेंसियों और मीडिया के पुराने और बड़े पत्रकारों का दावा है कि कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनने की उम्मीद है. वहीं कुछ मीडिया संस्थान भाजपा की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. लेकिन, सरकार किसकी बनेगी यह 3 तारीख को काउंटिंग के बाद ही तय होगा.
रिपोर्ट मुहम्मद साजिद, बरेली