मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के लाभार्थियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट किये जाने की खबरों के बाद वहां विवाद उत्पन्न हो गया है. जानकारी के अनुसार यह घटना मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले की है, जहां सामूहिक विवाह से पहले लड़कियों का गर्भावस्था परीक्षण किया गया.
प्रेग्नेंसी टेस्ट किये जाने के बाद उत्पन्न विवाद पर बयान देते हुए जिला कलेक्टर विकास मिश्रा ने बताया कि एनीमिया की जांच के दौरान कुछ लड़कियों ने बताया कि उनका पीरियड्स बंद है, जिसके बाद उनकी जांच हुई तो पता चला कि वे गर्भवती हैं. गौरतलब है कि जिला कलेक्टर विकास मिश्रा ने इस बात से इनकार नहीं किया कि लड़कियों की प्रेग्नेंसी टेस्ट हुई, लेकिन उन्होंने यह समझाया कि आखिर क्यों इन लड़कियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट हुआ है.
डीएम ने बताया कि सिकल सेल एनीमिया के परीक्षण के दौरान, पांच लाभार्थियों ने डॉक्टरों को बताया कि उन्हें पीरियड्स नहीं आ रहा है. इसके बाद डॉक्टरों ने यूरिन टेस्ट किया और पांचों गर्भवती पायी गयीं. इन लड़कियों के गर्भवती होने की सूचना डॉक्टर्स ने दी थी इसलिए उन लाभार्थियों को सामूहिक विवाह में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गयी थी.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार लाभार्थियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट नहीं कराया गया, बल्कि एनीमिया टेस्ट के दौरान लाभार्थियों की डाॅक्टर्स से बातचीत हुई और उसके बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट हुई. उन पांच लोगों के अलावा अन्य 219 लोगों की शादी समय पर हुई.
सूचीबद्ध पांच लाभार्थियों में से एक महिला ने मीडिया से बात करते हुए कहा मैं जिस व्यक्ति से शादी करना चाह रही थी, मैं उसके साथ पिछले पांच महीने से रह रही हूं. मैंने सभी जरूरी शर्तें पूरी कर दीं, लेकिन बाद में यह बताया गया कि सामूहिक विवाह वाली सूची में मेरा नाम नहीं है, चूंकि मेडिकल जांच में मैं गर्भवती पायी गयी थी इसलिए मेरा नाम सूची से हटा दिया गया.
डिंडोरी में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत किए जाने वाले सामूहिक विवाह में 200 से अधिक बेटियों का प्रेगनेंसी टेस्ट कराए जाने का समाचार सामने आया है।
मैं मुख्यमंत्री से जानना चाहता हूं कि क्या यह समाचार सत्य है? यदि यह समाचार सत्य है तो मध्यप्रदेश की बेटियों का ऐसा घोर अपमान…— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) April 23, 2023
विवाह से पूर्व लड़कियों की प्रेग्नेंसी टेस्ट कराये जाने पर पूर्व सीएम कमलनाथ ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. उन्होंने ट्वीट कर इस मसले पर आपत्ति जतायी है और राज्य सरकार को निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा है कि क्या गरीब और आदिवासी समुदाय की महिलाओं का मुख्यमंत्री की नजर में कोई सम्मान नहीं है? उन्होंने कहा है कि विवाह पूर्व लड़कियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट कराना उनका अपमान है. ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के लाभार्थियों को सरकार की ओर से नकद सहायता दी जाती है, साथ ही उपहार स्वरूप कई सामान भी दिये जाते हैं.