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कोविड-19 से जूझ रहे इंदौर के कुछ कब्रिस्तानों में जनाजों की तादाद बढ़ने पर उठे सवाल

मध्य प्रदेश के इंदौर में कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों के आस-पास के कुछ कब्रिस्तानों में आम दिनों के मुकाबले जनाजों की संख्या कथित तौर पर बढ़ने को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

By Mohan Singh | April 10, 2020 6:30 PM

इंदौर : मध्य प्रदेश के इंदौर में कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों के आस-पास के कुछ कब्रिस्तानों में आम दिनों के मुकाबले जनाजों की संख्या कथित तौर पर बढ़ने को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

मीडिया खबरें सामने आने के बाद प्रशासन का कहना है कि इस रुझान को सीधे कोविड-19 से तुरंत जोड़ दिया जाना उचित नहीं होगा, जबकि शहर काजी ने मामले की जांच के जरिये वस्तुस्थिति स्पष्ट करने की मांग की है.

शहर के कुछ कब्रिस्तानों में जनाजों की तादाद बढ़ने की मीडिया खबरों के बारे में पूछे जाने पर जिलाधिकारी मनीष सिंह ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, “यह बात सही है कि (शहर के चंद कब्रिस्तानों में जनाजों की) संख्या कुछ हद तक बढ़ी है.

लेकिन इन मौतों के वास्तविक कारण विस्तृत मेडिकल जांच के बाद ही पता चल सकेंगे. सिंह ने हालांकि कहा, “हमारी जनाजों से जुड़े कुछ मृतकों के परिवारवालों, शहर काजी, मौलवियों और क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों से बात हुई है.

इस बातचीत के मुताबिक मौत से पहले इन लोगों में सर्दी, खांसी और छींक सरीखे वे लक्षण नहीं थे जो आमतौर पर कोरोना वायरस के मरीजों में पाये जाते हैं. उन्होंने बताया कि खजराना, चंदन नगर और हाथीपाला जैसे इलाकों में कोरोना वायरस का संक्रमण शहर के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले काफी पहले फैल गया था। इन इलाकों को सील करते हुए वहां आम लोगों की आवाजाही पर पहले ही सख्त रोक लगा दी गयी है ताकि इसका संक्रमण आगे न फैल सके.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 17 दिन में इंदौर में कोरोना वायरस संक्रमण के मरीजों की तादाद बढ़कर 235 पर पहुंच गयी है. इनमें से 26 लोग इलाज के दौरान दम तोड़ चुके हैं. आंकड़ों के तुलनात्मक विश्लेषण से पता चलता है कि 30 लाख से ज्यादा की आबादी वाले इस शहर में कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर राष्ट्रीय स्तर से कहीं ज्यादा बनी हुई है.

इस ऊंची मृत्यु दर के बारे में पूछे जाने पर जिलाधिकारी ने कहा, “यह स्थिति केवल इसलिये है क्योंकि कोरोना वायरस के मरीज इस महामारी के लक्षणों के बारे में हमें देर से जानकारी दे रहे हैं. हम शहर के सभी लोगों से लगातार अपील कर रहे हैं कि वे हमारी टीमों का पूरा सहयोग करें और इस महामारी के लक्षणों के बारे में हमें जल्दी से जल्दी बतायें ताकि उनका इलाज वक्त पर शुरू किया जा सके.

इस बीच, शहर काजी मोहम्मद इशरत अली ने “पीटीआई-भाषा” से कहा, “प्रशासन को कर्फ्यू से पहले की स्थिति और मौजूदा हालात की तुलना करते हुए पता लगाना चाहिये कि कब्रिस्तानों में जनाजों की तादाद में क्या बदलाव हुआ है और मृतकों की मौत की क्या वजह थी? मामले की जांच के बाद पूरी तस्वीर साफ हो जायेगी.

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