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श्री महाकाल लोक काॅरिडोर का उद्‌घाटन आज, 900 मीटर से अधिक है लंबा, लागत 856 करोड़

श्री महाकाल लोक 900 मीटर से अधिक लंबा है और यह गलियारा पुरानी रुद्र सागर झील के चारों और फैला हुआ है. श्री महाकाल लोक गलियारे का निर्माण काशी विश्वनाथ काॅरिडोर के तर्ज पर किया गया है.

पीएम नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को यानी आज श्री महाकाल लोक का उद्‌घाटन करेंगे. श्री महाकाल लोक देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में बनाया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्री महाकाल लोक के पहले चरण का आज उद्‌घाटन करेंगे.

900 मीटर से अधिक लंबा है श्री महाकाल लोक

श्री महाकाल लोक 900 मीटर से अधिक लंबा है और यह गलियारा पुरानी रुद्र सागर झील के चारों और फैला हुआ है. श्री महाकाल लोक गलियारे का निर्माण काशी विश्वनाथ काॅरिडोर के तर्ज पर किया गया है. इसके लिए रुद्र सागर झील को पुनर्जीवित किया गया है.


श्री महाकाल लोक में दो प्रवेश द्वार हैं

श्री महाकाल लोक गलियारे में प्रवेश के लिए दो प्रवेश द्वार बनाये गये हैं. इन द्वार को नंदी द्वार और पिनाकी द्वार नाम दिया गया है. महाकालेश्वर मंदिर में प्रवेश तक के लिए यह गलियारा बनाया गया है. गलियारे में 108 स्तंभ लगाये गये हैं. श्री महाकाल लोक का गलियारा इन्हीं स्तंभों पर आधारित है.

856 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है निर्माण

श्री महाकाल लोक का निर्माण 856 करोड़ की लागत से किया गया है. इसके पहले चरण का निर्माण कार्य पूरा हुआ है. महाकाल के दर्शन के लिए आने वाले तीर्थयात्रियों को अब विश्वस्तरीय आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी. इस काॅरिडोर का निर्माण वर्ष 2017 में शुरू हुआ था. श्री महाकाल लोक मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 200 किलोमीटर दूर शिप्रा नदी के तट पर स्थित है. यह गलियारा 24 मीटर चौड़ा और 900 मीटर लंबा है.

दीवारों पर अंकित है शिव पुराण की कहानियां

गलियारे की दीवारों पर शिव पुराण की कहानियों से संबंधित चित्र अंकित हैं. जिनमें भगवन गणेश का जन्म , सती और दक्ष आदि का चित्र शामिल है. साथ ही भगवन शिव के जीवन से संबंधित मूर्तियां भी स्थापित की गयी हैं. कालिदास के अभिज्ञान शकुंतलम्‌ में वर्णित वनस्पतियों सहित लगभग 40 से 45 धार्मिक महत्व वाले वनस्पतियों जिनमें रुद्राक्ष ,बेलपत्र आदि को पथ पर लगाया गया है. निर्माण में राजस्थान के बंसी पहाड़पुर का बलुआ पत्थर इस्तेमाल किया गया है. महाकाल पथ के खंभों पर नक्काशी का काम राजस्थान, गुजरात और ओडिशा के कारीगरों ने मिल कर किया है.

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