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मध्य प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर को शिवराज ने किया खारिज, बदले में अपनी योजनाएं गिनायीं

शिवराज सिंह चौहान ने कहा, लाडली बहना कोई पहली योजना नहीं है. महिला सशक्तीकरण की दिशा में यह बहुत महत्वपूर्ण कड़ी है. मध्य प्रदेश में पहले पुरुषों और महिलाओं के अनुपात में काफी अंतर था 1,000 बेटों पर 912 बेटियां जन्म लेती थीं. लोग बेटियों को बोझ मानते थे. इसलिए हमने लाडली लक्ष्मी योजना शुरू की.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में न तो कोई उनका विरोधी है और न ही उनकी सरकार के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर है. उन्होंने दावा किया कि प्रदेश की जनता में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति श्रद्धा और प्रेम है तथा राज्य सरकार की ओर से लागू की गईं योजनाएं लोगों की जिंदगी बदल रही हैं. लाडली बहना योजना के तहत गरीब और मध्यम वर्ग की महिलाओं के बैंक काउंट में प्रति महीने 1-1 हजार रुपये ट्रांसफर करने के बाद उन्होंने घोषणा की वह इस राशि को धीरे-धीरे प्रति महीने 3,000 रुपये कर देंगे. उन्होंने एक इंटरव्यू में इस घोषणा को रेवड़ी संस्कृति का हिस्सा मानने से इनकार किया और कहा कि उनकी सरकार ने लाडली लक्ष्मी से लेकर कन्या विवाह और अब लाडली बहना के जरिए जिन भी योजनाओं की शुरुआत की, उसने एक सामाजिक क्रांति लाने का काम किया और महिलाओं को सशक्त करने की दिशा में कदम बढ़ाया है.

लाडली बहना कोई पहली योजना नहीं

शिवराज सिंह चौहान ने कहा, लाडली बहना कोई पहली योजना नहीं है. महिला सशक्तीकरण की दिशा में यह बहुत महत्वपूर्ण कड़ी है. मध्य प्रदेश में पहले पुरुषों और महिलाओं के अनुपात में काफी अंतर था 1,000 बेटों पर 912 बेटियां जन्म लेती थीं. लोग बेटियों को बोझ मानते थे. इसलिए हमने लाडली लक्ष्मी योजना शुरू की. इसका असर ये हुआ कि मध्य प्रदेश में बेटी अब बोझ नहीं रही. अब वह वरदान साबित हो रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से सशक्त करने के लिए एक के बाद एक कई योजनाएं शुरू की हैं. उन्होंने कहा कि लाडली लक्ष्मी के बाद कन्यादान योजना शुरू की गई, स्थानीय निकाय के चुनावों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई, फिर पुलिस भर्ती में उनके लिए 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया, शिक्षक भर्ती में 50 प्रतिशत आरक्षण किया गया.

बेटे और बेटियों के जन्म अनुपात का अंतर बहुत कम

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इन योजनाओं का असर ये हुआ कि आज बेटे और बेटियों के जन्म अनुपात का अंतर बहुत कम है. यह पूछे जाने पर कि लाडली बहना योजना के तहत उन्होंने प्रति महीने 1,000 रुपये देना तय किया था लेकिन, अब वह प्रति महीने 3,000 रुपये दिए जाने की बात कर रहे हैं तो क्या यह रेवड़ी संस्कृति नहीं है, जिसका कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विरोध करती रही है. उन्होंने कहा, यह रेवड़ी संस्कृति नहीं है. इससे पोषण का स्तर सुधरेगा. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई ठीक हेगी. कई बुनियादी जरूरतें पूरी होंगी. इससे परिवार में बदलाव आएगा. लाडली लक्ष्मी हो या कन्या कन्या विवाह योजना. हमारी कोई भी योजना रेवड़ी संस्कृति का हिस्सा नहीं है. हमने जो भी कार्यक्रम या योजनाएं बनाई हैं वे सामाजिक परिवर्तन के लिए हैं. इन्हें रेवड़ी संस्कृति नहीं कहा जा सकता.

मध्य प्रदेश में न कोई एंटी है और न ही ऐसी कोई लहर

यह पूछे जाने पर कि क्या सत्ता विरोधी लहर की काट के लिए वह इस प्रकार की घोषणाएं कर रहे हैं तो उन्होंने इसे सिरे से खारिज किया. उन्होंने कहा, मध्य प्रदेश में न कोई एंटी है और न ही ऐसी कोई लहर है. मुख्यमंत्री ने कहा, मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति जो श्रद्धा और प्रेम है वह अथाह है. मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार की जो योजनाएं हैं, वे लोगों की जिंदगी बदल रही हैं. इसलिए यहां सत्ता विरोधी लहर जैसी कोई चीज नहीं है. उल्लेखनीय है कि भाजपा वर्ष 2003 से मध्य प्रदेश की सत्ता में है.

कांग्रेस के हाथों करना पड़ा था पराजय का सामना

पिछले विधानसभा चुनाव में उसे कांग्रेस के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था लेकिन, ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों के दल बदल के कारण कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई थी. इसके बाद फिर भाजपा ने सरकार बनाई और शिवराज चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने. कांग्रेस की ओर से चुनाव के सिलसिले में की जा रही घोषणाओं को उन्होंने झूठ का पुलिंदा करार दिया और कहा कि कोई उसकी बातों पर विश्वास नहीं करता है. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकार बनते ही उसने महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में चलाई जा रही कुछ योजनाओं को बंद कर दिया था

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