मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मतों की गिनती जारी है. शुरुआती रुझानों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) प्रचंड बहुमत की ओर बढ़ती दिख रही है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि भाजपा मध्य प्रदेश में किसको मुख्यमंत्री बनाएगी. चुनाव से पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि हम चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पर फैसला लेंगे. बता दें कि भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान को चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया था. जबकि पिछली बार कांग्रेस की 15 महीने की सरकार के बाद भाजपा ने प्रदेश की कमान शिवराज को सौंपी थी. उन्होंने अपने कार्यकाल में कई योजनाओं से जनता का पूरा लुभाने का प्रयास किया. चुनाव परिणाम भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि शिवराज पर जनता ने भरोसा दिखाया है.
जनता के भरोसे पर खरे उतरे शिवराज
जनता के भरोसे पर तो शिवराज सिंह चौहान खरे उतरे हैं, लेकिन अब यह देखना बाकी है कि क्या पार्टी का शीर्ष नेतृत्व एक बार फिर उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाता है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि भाजपा चुनाव के बाद ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर फैसला करेगी, उन्होंने इस सवाल को टाल दिया था कि क्या मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस पद पर बने रहेंगे.
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अमित शाह ने कही यह बात
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब पार्टी ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम लिए बिना नवंबर में होने वाले चुनावों के लिए प्रचार शुरू कर दिया. जब पत्रकारों ने शाह से पूछा कि अगर बीजेपी चुनाव में सत्ता में लौटती है तो क्या चौहान मुख्यमंत्री होंगे. शाह ने कहा कि वर्तमान में शिवराज जी मुख्यमंत्री हैं. यह हमारी पार्टी का काम है और हम आगे तय करेंगे.
शिवराज का दावा सबसे मजबूत
चुनाव से पहले उन्होंने कहा था कि मेरी आपसे अपील है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में जो भी काम हुआ है, उसे जनता तक पहुंचाएं, ताकि चुनाव में विकास को एजेंडा बनाया जा सके. ऐसा देखा गया कि भाजपा आम तौर पर राज्यों के चुनाव में सीएम पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं करती जहां वह विपक्ष में होती है. लेकिन सत्ता में जो सीएम होता है आगे भी उसे ही सीएम का मुख्य चेहरा माना जाता है. हालांकि, पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मध्य प्रदेश पर कहा कि सीएम कौन होगा, इस पर अंतिम फैसला नतीजों के बाद पार्टी का संसदीय बोर्ड लेगा.
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देखा जाए तो मुख्यमंत्री के लिए शिवराज सिंह चौहान दौड़ में सबसे आगे हैं. लेकिन केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, नरेंद्र सिंह तोमर वीडी शर्मा और कैलाश विजयवर्गीय भी रेस में हैं.
प्रहलाद पटेल नरसिंहपुर से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और शुरुआती रुझानों में आगे भी चल रहे हैं. ओबीसी वर्ग में शिवराज के बाद सबसे बड़ा चेहरा वही हैं. प्रदेश में ओबीसी की आबादी करीब 50 फीसदी है. भाजपा अगर शिवराज को मौका नहीं देना चाहती को प्रहलाद पटेल पहली पसंद हो सकते हैं.
नरेंद्र सिंह तोमर भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं. केंद्रीय मंत्री मुनैरा जिले के दिमनी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. चुनाव के शुरुआती दिनों में वह काफी एक्टिव नजर आ रहे थे. उनपर कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां डाली गई थी.
फग्गन सिंह कुलस्ते आदिवासियों के सबसे बड़े नेता हैं. अगर भाजपा किसी आदिवासी चेहरे को कुर्सी पर बैठाना चाहेगी तो कुलस्ते पहला नाम हो सकते हैं. वह मंडला जिले की निवास सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
कैलाश विजयवर्गीय को पश्चिम बंगाल चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी दी गयी थी. अब शीर्ष नेताओं का करीबी होने के कारण उन्हें मध्य प्रदेश की चुनावी रण में भी उतारा गया है. विजयवर्गीय अपनी रैलियों में कहते फिर रहे थे कि मैं यहां विधायक बनने नहीं आया हूं. ऐसे में उन्हें बड़े पद की उम्मीद होगी.