कोरोना वायरस से देश में सबसे अधिक प्रभावित शहरों में एक इंदौर ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान कुल मामलों के लगभग 50 फीसदी कम रिपोर्टिंग की है. यह खुलासा स्थानीय अधिकारियों द्वारा जमा किये गये आंकड़ों के तुलनात्मक विश्लेषण से हुआ है. इसके लिए भारतीय अनुसंधान चिकित्सा परिषद (ICMR) और राज्य सरकार की तरफ से जारी रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया.
ICMR पोर्टल पर जिला अधिकारियों द्वारा अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, इंदौर में 1 फरवरी 2021 से लेकर 14 मई 2021 के बीच, कुल 1,54,474 कोरोना संक्रमण से मामले सामने आये थे. जबकि इसी अवधि में जारी स्वास्थ्य बुलेटिन के मुताबिक सिर्फ 77,353 लोगों ने की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी थी. दोनों के आंकड़ो में कुल 77,121 का फर्क सामने आया है. इसका मतलब यह है कि आंकड़ों को छिपाया गया है.
न्यूज़क्लिक के मुताबिक जिला अधिकारियों ने पिछले चार महीनों में 25 फीसदी से 60 फीसदी मामलों को छुपाया है. इंदौर में अप्रैल के महीने सबसे अधिक 48,997 कोरोना संक्रमण के मामले सामने आये. मार्च महीने में कुल 15,139 नये मामले सामने आये. फरवरी महीने में कुल 739 मामले सामने आये. जबकि 14 मई तक में इंदौर में 12,246 मामले सामने आये.
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इस डेटा में RT-PCR और रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) दोनों के आंकड़े शामिल हैं. सैंपल कलेक्शन के आधार पर संबंधित अधिकारियों ने डेटा को आईसीएमआर पोर्टल पर अपलोड किया. एक पेशेंट आईडी तैयार की और इसे सरकार द्वारा अनुमोदित प्रयोगशालाओं में भेज दिया. स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ हफ्तों में इंदौर में प्रतिदिन लगभग 7,000 से 8,000 परीक्षण किए जा रहे हैं.
चौंकाने वाली बात यह है कि 23 से 29 अप्रैल के बीच, जब इंदौर में महामारी की दूसरी लहर के दौरान सबसे अधिक मामले सामने आये उस समय जिला अधिकारियों ने कुल 25,447 मामलों में से 12,778 मामलों को दर्ज नहीं किया. स्वास्थ्य अधिकारियों ने केवल 12,669 रोगियों के लिए डेटा जारी किया. हालांकि जन स्वास्थ्य अभियान के राज्य संयोजक अमूल्य निधि ने यह जरूर मानते हैं कि आंकड़ों को छिपाने से नीति निर्माण और स्थिति से निपटने के लिए बनायी जा रही योजना के कार्यान्वयन पर असर पड़ेगा.
इंदौर के सीएमएचओ डॉ भूरे सिंह सैत्य ने कहा कि भारत सरकार के कोरोना टेस्ट प्रोटोकॉल के अनुसार सैंपल लेने के बाद जिला स्वास्थ्य अधिकारी व्यक्ति का विवरण आईसीएमआर पोर्टल पर अपलोड करते हैं और एक पेशेंट आईडी बनाते हैं. इसके बाद सैंपल को सरकार द्वारा अनुमोदित प्रयोगशालाओं में भेजा जाता है. RT-PCR और रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) दोनों टेस्ट के रिजल्ट सैंपल लेने के 24 घंटे के अंदर दे दिये जाते हैं.
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डॉ. सैत्या ने यह भी कहा कि परिणाम घोषित करने के लिए आईसीएमआर पोर्टल पर रीयल-टाइम डेटा दाखिल करने की प्रक्रिया में कमियां है. क्योंकि ICMR पोर्टल पर अपलोड किए गए वास्तविक समय के आंकड़ों के आधार पर, जिला स्वास्थ्य अधिकारी शाम को एक दैनिक स्वास्थ्य बुलेटिन जारी करते हैं. पर न्यूज़क्लिक के निष्कर्षों के अनुसार, ICMR पोर्टल पर अपलोड किए गए डेटा में बड़े पैमाने पर अंडर-रिपोर्टिंग की गयी है.
मामले को लेकर इंदौर के कलेक्टर मनीष से रिपोर्ट का खंडन करते हुए दावा किया कि आईसीएमआर और स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े अलग अरग हैं क्योंकि एक ही व्यक्ति का दो बार या उससे अधिक बार टेस्ट किया गया, साथ ही बाहर के रोगी भई आकर इंदौर में टेस्ट कराते हैं. उन्होंने कहा कि डेटा को अधिक सटीक बनाने का प्रयास करते हैं. लेकिन यह एक थका देने वाला काम है.
वहीं इंदौर में कोरोना के नोडल अधिकारी डॉ अमित मालाकार ने बताया कि जब एक बार किसी व्यक्ति का नाम आईसीएमआर पोर्टल पर रजिस्टर हो जाता है तो उसका नाम हम पोर्टल पर दोबारा नहीं लिखते हैं. चाहे उन्होंने कितनी बार ही टेस्ट क्यों ना कराया हो. इसका रिकॉर्ड अलग से रखा जाता है. इसके अलावा अलग जिलों के जो भी सैंपल आते हैं उन्हें पेशेंट के आधार कार्ड के पते के मुताबिक संबंधित जिलाधिकारी को भेज दिया जाता है.
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भोपाल में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर नहीं रखने की शर्त पर बताया कि कोरोना महामारी के दौरान जिन जिलों में अधिक मामले सामने आये उन्होंने मामलों को छिपाया है. पर जैसे ही मामले कम आने लगे उन जिलों ने भी आंकड़े जारी कर दिया.
Posted By: Pawan Singh