भीमा कोरेगांव के आरोपी गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबडे ने किया सरेंडर

भीमा कोरेगांव केस एल्गार परिषद मामले के मुख्य आरोपी गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबडे ने मुंबई में एनआईए के सामने सरेंडर कर दिया है. इससे पहले, तेलतुंबडे के वकील मिहिर देसाई ने एजेंसी को बताया था कि कि तेलतुंबडे 14 अप्रैल को दक्षिण मुंबई में स्थित एनआईए कार्यालय में आत्मसमर्पण करेंगे.

By AvinishKumar Mishra | April 14, 2020 4:58 PM

मुंबई : भीमा कोरेगांव केस एल्गार परिषद मामले के मुख्य आरोपी गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबडे ने मुंबई में एनआईए के सामने सरेंडर कर दिया है. इससे पहले, तेलतुंबडे के वकील मिहिर देसाई ने एजेंसी को बताया था कि कि तेलतुंबडे 14 अप्रैल को दक्षिण मुंबई में स्थित एनआईए कार्यालय में आत्मसमर्पण करेंगे.

समाजिक कार्यकर्ताओं ने लिखा सीजेआई को पत्र- इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार आनंद तेलतुंबड़े और नवलखा की गिरफ्तारी आदेश को लेकर प्रख्यात इतिहासकार रोमिला थापर, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक और देवकी जैन, समाजशास्त्री सतीश देशपांडे और कानूनी जानकार माजा दारूवाला ने भारत के सीजेआई एसए बोबडे को पत्र लिखकर मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है.

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इस पत्र में थापर औैर उनके सहयोगियों ने सीजेआई से अपील की है कि वे देश के संविधान में लोगों के विश्वास और सभी नागरिकों को नागरिक स्वतंत्रा को सुनिश्चित करने की पुनर्स्थापना करें.

एससी ने जमानत याचिका खारिज कर दिया था– सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबडे की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा और एम आर शाह की पीठ ने दोनों कार्यकर्ताओं को तीन सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा था. साथ ही आदेश दिया कि दोनों को जल्द से जल्द अपने पासपोर्ट को भी पुलिस को सौंपना होगा.

भीमा कोरेगांव केस क्या है– 1 जनवरी 2018 को महाराष्ट्र के पुणे में भीमा-कोरेगांव में दो पक्षों के बीच जमकर हिंसा हुई थी. इस मामले में एक युवक की जान चली गयी थी. बाद में पुणे पुलिस ने मामले में 58 एफआईआर दर्ज की. इस मामले में पुलिस ने समाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा, आनंद तेलतुंबडे समेत अन्य कई सामाजिक कार्यकर्ताओं पर भी केस दर्ज किया. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने आरोप लगाता कि दोनों लोग एल्गार परिषद में भड़काऊ भाषण दिये थे.

एनआईए को जांच– इसी साल भीमा कोरेगांव केस की जांच केंद्र सरकार ने एनआईए को सौंप दी थी, जिसपर महाराष्ट्र में काफी हंगामा हुआ था. इससे पहले इस मामले की जांच महाराष्ट्र पुलिस की विशेष शाखा कर रही थी.

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