क्या महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेन्द्र फडनवीस से बीजेपी किनारा कर रही है. यह बात इसलिए भी खास है क्योंकि, बीजेपी आलाकमान ने अपने कई फैसलों से देवेन्द्र फडणवीस को अलग-थलग कर दिया है. विनोद तावड़े को राष्ट्रीय सचिव के पद से पार्टी के महासचिव पर प्रमोशन और चंद्रशेखर बावनकुले को महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव के लिए खड़ा करने के फैसले से तो यही जाहिर होता है.
जिस दौर में फडणवीस महाराष्ट्र में बीजेपी का चेहरा बन रहे थे. उस दौर में उन्हें पार्टी पोस्टर बॉय के रुप में पेश कर रही थी. पार्टी विद डिफ्रेंस की सोच रखने वाली बीजेपी कभी फडणवीस को महाराष्ट्र का नया चेहरा कहते थक नहीं रही थी. लेकिन अब लगता है कि स्थिति पूरी तरह बदल गई है. तभी तो बीजेपी विनोद तावड़े और चंद्रशेखर बावनकुले को पार्टी तवज्जों दे रही है, जो फडणवीस के कट्टर विरोधी हैं.
पार्टी आलाकमान के इन फैसलों से साफ हो गया है कि बीजेपी अपने पोस्टर वॉय के पंख कुतरना शुरू कर दिया है. क्योंकि जिस चंद्रशेखर बावनकुले और विनोद तावड़े दोनों फडणवीस के धुर विरोधी है और कही न कहीं फडणवीस से इन्हें नुक्सान पहुंचा है. लेकिन कहते है न कि राजनीति में कुछ भी परमानेंट नहीं होता तो ऐसे में अगर आज पार्टी फडणवीस का पंख कुतर रही है तो इसमें कोई आतिशयोक्ति नहीं .
जाहिर कभी फडनवीस भी कई नेताओं खातकर चंद्रशेखर बावनकुले और तावड़े की राह के सबसे बड़े रोड़ी बन थे. जिस दौरान फडणवीस सीएम थे उस समय उन्होंने पूर्व शिक्षा मंत्री तावड़े को दरकिनार कर दिया था. यहां तक की उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट से भी वंचित कर दिया था. वहीं, पूर्व विद्युत मंत्री रहे बावनकुले को भी टिकट से वंचित कर दिया था. इस कारण दोनों फडणवीस के कट्टर विरोधी माने जा रहे हैं.
आज पार्टी फडणवीस को किनारे कर रही है तो इसके पीछे फडणवीस की वर्चस्व की कामना ही जिम्मेदरा है. अपने प्रभुत्व के समय फडणवीस ने भी कई नेताओं को दरकिनार किया था. बीजेपी के जाने माने नेता एकनाथ खडसे ने भी फडणवीस के कारण ही पार्टी छोड़ी थी. एनसीपी की दामन थामने से पहले एकनाथ ने कहा थि कि, उन्होंने भाजपा छोड़ दी क्योंकि उत्पीड़न से वो थक चुके थे. उन्होंने साफ कहा था कि, “मैंने बीजेपी छोड़ी सिर्फ और सिर्फ फडणवीस की वजह से.”