बम्बई हाई कोर्ट ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के लिए जासूसी करने के आरोप में 2018 में गिरफ्तार ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के एक पूर्व अभियंता को जमानत दे दी. अदालत ने कहा कि आरोपी अभियंता लगभग पांच साल से जेल में है और मामले की सुनवाई जल्द पूरी होने की संभावना नहीं है. न्यायमूर्ति अनिल किलोर की एकल पीठ ने तीन अप्रैल को आरोपी निशांत अग्रवाल को जमानत देते हुए यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चलता हो कि आरोपी ने कथित कृत्य जानबूझकर किया था.
मुकदमे में नहीं हुई कोई प्रगति: उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने अग्रवाल द्वारा दायर जमानत के अनुरोध वाली याचिका को इस आधार पर स्वीकार कर लिया कि मुकदमे में कोई प्रगति नहीं हुई है और वह चार साल और छह महीने से जेल में है. पीठ ने आरोपी को 25,000 रुपये का निजी मुचलका भरने और मुकदमे की समाप्ति तक सप्ताह में तीन बार नागपुर पुलिस थाने में हाजिरी देने का निर्देश दिया.
एटीएस ने साल 2018 में किया था गिरफ्तार: नागपुर में कंपनी के मिसाइल केंद्र के तकनीकी अनुसंधान अनुभाग में कार्यरत अग्रवाल को अक्टूबर 2018 में सैन्य खुफिया और उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र के आतंकवाद-रोधी दस्ते (एटीएस) के एक संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया गया था. ब्रह्मोस के पूर्व एयरोस्पेस अभियंता पर भारतीय दंड संहिता और कड़े आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (ओएसए) के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था.
आईएसआई को खुफिया जानकारी देने का आरोप: आरोपी अग्रवाल ने चार साल तक ब्रह्मोस में काम किया था और उन पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ‘इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस’ (आईएसआई) को संवेदनशील तकनीकी जानकारी देने का आरोप है. ब्रह्मोस एयरोस्पेस, भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के ‘मिलिट्री इंडस्ट्रियल कंसोर्टियम’ का एक संयुक्त उपक्रम है.
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