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COVID 19 Parole पर रिहा कैदियों ने किया SC का रुख, महाराष्ट्र सरकार के आदेश के बावजूद नहीं जाना चाहते जेल

COVID 19 Parole कोरोना महामारी के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार ने कई कैदियों को पैरोल पर रिहा किया था और अब इन सभी को जेल वापस लौटने का निर्देश दिया गया है. लेकिन, कैदियों ने इस अधिसूचना को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 18, 2022 7:55 PM

COVID 19 Parole कोविड पैरोल पर रिहा हुए हत्या मामले में दोषी कई कैदियों ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा जेल वापस लौटने के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. दरअसल, कोरोना महामारी के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार ने कई कैदियों को पैरोल पर रिहा किया था और अब इन सभी को जेल वापस लौटने का निर्देश दिया गया है, ताकि उनकी सजा के बाकी बचे हिस्से को जेल में पूरा कराया जा सकें. लेकिन, कैदियों ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा इस संबंध में जारी किए गए अधिसूचना को चुनौती देते हुए अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

15 दिनों के भीतर कैदियों से आत्मसमर्पण करने को कहा गया

न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना संक्रमण के कारण मई 2020 में पेरोल पर रिहा हुए 49 हत्या के दोषियों ने राज्य में कोविड-19 के मामलों की बढ़ती संख्या का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कैदी नासिक, औरंगाबाद, अमरावती और कोल्हापुर की जेलों में उम्रकैद की सजा काट रहे थें और कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए उन्हें आपातकालीन पैरोल पर रिहा किया गया था. इन्होंने सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र्र सरकार द्वारा दी गई 4 मई 2022 के सर्कुलर को चुनौती दी है. इस सर्कुलर में उन सभी कैदियों को पंद्रह दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा गया है, जिन्हें अस्थायी पैरोल या जमानत दी गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: लिया था संज्ञान

मालूम हो कि देश में कोरोना के बढ़ते मामले और जेलों में कैदियों की भीड़ को देखते हुए 23 मार्च 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था और प्रत्येक राज्य के जेल में सजा काट रहे कैदियों के बीच कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए उनकी पहचान करने तथा रिहा करने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति (HPC) का गठन करने का आदेश दिया था. एचपीसी की सिफारिश के आधार पर महाराष्ट्र सरकार ने 8 मई 2020 को एक अधिसूचना जारी की थी. इसमें दोषी कैदियों, जिनकी अधिकतम सजा 7 साल से अधिक है, उन्हें आपातकालीन पैरोल के लिए आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया गया था.

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