पाकिस्तान से लौटी गीता को अभी तक नहीं मिला उसका परिवार, तेलंगाना और महाराष्ट्र में जारी है तलाश
नयी दिल्ली : पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) के प्रयास से 2015 में पाकिस्तान से भारत लौटी गीता (Geeta) को अभी तक उसका परिवार नहीं मिला है. गीता न बोल सकती है और न ही सुन सकती है. उसे आज भी अपने परिवार की तलाश है. उसकी आंखें अपने ही देश में अपनों को खोज रही हैं. उसका परिवार उससे 20 साल पहले बिछड़ गया था और वह गलती से पाकिस्तान चली गयी थी. इस बीच कई दंपतियों ने उसपर अपना दावा किया, लेकिन यह सही नहीं पाया गया.
नयी दिल्ली : पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) के प्रयास से 2015 में पाकिस्तान से भारत लौटी गीता (Geeta) को अभी तक उसका परिवार नहीं मिला है. गीता न बोल सकती है और न ही सुन सकती है. उसे आज भी अपने परिवार की तलाश है. उसकी आंखें अपने ही देश में अपनों को खोज रही हैं. उसका परिवार उससे 20 साल पहले बिछड़ गया था और वह गलती से पाकिस्तान चली गयी थी. इस बीच कई दंपतियों ने उसपर अपना दावा किया, लेकिन यह सही नहीं पाया गया.
दिव्यांगों की मदद के लिए इंदौर में चलायी जा रही एक संस्था आनंद सर्विस सोसायटी गीता की देख रेख कर रही है. यह संस्था गीता को उसके परिवार को खोजने में भी मदद कर रही है. हालांकि अपनों को खोजने का जिम्मा गीता ने स्वयं ही उठा रखा है. वह जगह-जगह जाकर अपने परिजनों की तलाश कर रही है. मध्यप्रदेश के सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त जन कल्याण विभाग ने उक्त संस्था को गीता के बिछड़े परिवार की खोज का जिम्मा भी सौंपा है.
संगठन के सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित गीता के परिवार की खोज के लिए रविवार से शुरू एक यात्रा में उसके साथ हैं. उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया कि फिलहाल हम महाराष्ट्र के मराठवाड़ा अंचल में हैं. अगले सात दिनों तक हम मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में गीता के बिछड़े परिवार को ढूंढ़ने की कोशिश करेंगे.
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पुरोहित ने बताया कि इशारों की जुबान में गीता से कई दौर की बातचीत के दौरान संकेत मिले हैं कि उसका मूल निवास स्थान मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में हो सकता है जहां वह लगभग दो दशक पहले अपने परिवार से बिछड़ कर रेल से पाकिस्तान पहुंच गई थी. महाराष्ट्र पुलिस भी गीता के परिवार की खोज में उसकी मदद कर रही है.
बिछड़े लोगों का रिकॉर्ड खंगाल रही महाराष्ट्र पुलिस
औरंगाबाद पुलिस की महिला शाखा की वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक किरण पाटिल ने बताया कि हम औरंगाबाद और इसके आस-पास के इलाकों में गुजरे 20 साल के दौरान लापता मूक-बधिर बच्चों का रिकॉर्ड खंगाल रहे हैं. हो सकता है कि हमें गीता के बिछड़े परिवार के बारे में कोई अहम सुराग मिल जाए. अधिकारियों ने बताया कि गीता की नाक दांई ओर छिदी है और मूक-बधिर युवती के मुताबिक उसके पैतृक गांव में गन्ना, चावल और मूंगफली की खेती होती है.
गीता के अनुसार वह तेलुगु फिल्मों के मशहूर नायक महेश बाबू की जबर्दस्त प्रशंसक है और इशारों की जुबान में उसका कहना है कि उसके घर में इडली-डोसा जैसे दक्षिण भारतीय व्यंजन पकते थे. बचपन की धुंधली यादों के आधार पर उसका यह भी कहना है कि उसके गांव के पास एक रेलवे स्टेशन था और गांव में नदी के तट के पास देवी का मंदिर था.
करीब 20 परिवारों ने गीता को बताया था अपनी बेटी
एक अधिकारी का कहना है कि बिते पांच साल में देश के अलग-अलग इलाकों के करीब 20 परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं. लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का मूक-बधिर युवती पर दावा साबित नहीं हो सका है. उन्होंने बताया कि फिलहाल गीता की उम्र 30 साल के आस-पास आंकी जाती है. वह बचपन में गलती से रेल में सवार होकर सीमा लांघने के कारण करीब 20 साल पहले पाकिस्तान पहुंच गयी थी.
Posted by: Amlesh Nandan.