महाराष्ट्र के विधानपालिका में अभिभाषण पूरा किए बिना बाहर चले गए कोश्यारी, नारेबाजी से थे नाराज
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की राज्य इकाई के अध्यक्ष एवं जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल ने दावा किया कि सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के विधायकों के मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रशंसा में नारेबाजी की, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने निचले दर्जे की नारेबारी की.
मुंबई : महाराष्ट्र में विधानपालिका के संयुक्त सत्र में सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के विधायकों की नारेबाजी की वजह से राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी अपना अभिभाषण पूरा किए बिना ही विधानभवन से बाहर निकल गए. एमवीए के विधायक संयुक्त सत्र के दौरान मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रशंसा में नारे लगा रहे थे. हालांकि, भाजपा के विधायक भी नारे लगा रहे थे. इस नारेबाजी से नाराज होकर राज्यपाल कोश्यारी गुस्से में बाहर निकल गए.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की राज्य इकाई के अध्यक्ष एवं जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल ने दावा किया कि सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के विधायकों के मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रशंसा में नारेबाजी की, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने निचले दर्जे की नारेबारी की, जिसे राज्यपाल बर्दाश्त नहीं कर सके. पाटिल ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह राष्ट्रगान का इंतजार किए बिना चले गए.
वहीं, भाजपा के मुख्य सचेतक आशीष शेलार ने राज्यपाल का अभिभाषण पूरा नहीं हो पाने के लिए एमवीए को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा कि विधानपालिका के बाहर और भीतर हमारी एक मात्र मांग यह है कि (भगोड़े गैंगस्टर) दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों के साथ संबंध रखने के आरोपी मंत्री नवाब मलिक को मंत्रालय से इस्तीफा देने को कहा जाए. हम अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे. कार्यवाही का सुचारू संचालन सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है.
इस बीच, कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने छत्रपति शिवाजी महाराज पर हाल में की गई कुछ टिप्पणियों को लेकर राज्यपाल की आलोचना की और कहा कि उन्हें माफी मांगनी चाहिए. कोश्यारी ने रविवार को औरंगाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज और चंद्रगुप्त मौर्य का उदाहरण देते हुए गुरु की भूमिका को रेखांकित किया था.
उन्होंने कहा था कि इस भूमि पर कई चक्रवर्ती (सम्राट) महाराजाओं ने जन्म लिया, लेकिन चाणक्य न होते तो चंद्रगुप्त के बारे में कौन पूछता? समर्थ (रामदास) न होते तो छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में कौन पूछता. कोश्यारी ने कहा था कि मैं चंद्रगुप्त और शिवाजी महाराज की योग्यता पर सवाल नहीं उठा रहा हूं. जैसे एक मां बच्चे का भविष्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, उसी तरह हमारे समाज में एक गुरु का भी बड़ा स्थान है.