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Maharashtra: महाराष्ट्र एटीएस को मिली बड़ी कामयाबी, जालना से PFI का एक और सदस्य गिरफ्तार

Maharashtra: महाराष्ट्र एटीएस ने राज्य के जालना से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के एक और सदस्य को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए पीएफआई सदस्य की पहचान शेख उमर शेख हबीब के रूप में हुई है.

Maharashtra: महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद निरोधक दल (ATS Maharashtra) को बड़ी कामयाबी मिली है. एटीएस ने राज्य के जालना से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के एक और सदस्य को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए पीएफआई सदस्य की पहचान शेख उमर शेख हबीब के रूप में हुई है. एटीएस अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि शेख उमर शेख हबीब को 15 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेजा गया है.

महाराष्ट्र में पीएफआई के अब तक कुल 22 सदस्य गिरफ्तार

शेख उमर शेख हबीब की गिरफ्तारी के साथ ही महाराष्ट्र एटीएस द्वारा पकड़े गये पीएफआई सदस्यों की संख्या 22 हो गई है. महाराष्ट्र एटीएस के एक अधिकारी के अनुसार, पीएफआई की जालना जिले की इकाई के पूर्व प्रमुख शेख उमर शेख हबीब की उम्र 30 वर्ष है और उसे सोमवार देर रात गैर कानूनी गतिविधि (प्रतिषेध) कानून के तहत गिरफ्तार किया गया.

कोर्ट ने शेख उमर शेख हबीब को पुलिस हिरासत में भेजा

गिरफ्तारी के बाद शेख उमर शेख हबीब को औरंगाबाद अदालत के समक्ष पेश किया गया. कोर्ट ने उसे शनिवार तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया. इसके पहले, 22 सितंबर को कई एजेंसियों की ओर से कथित आतंकवाद संबंधी गतिविधियों को लकर संगठन के खिलाफ देशव्यापी छापेमारी के तहत एटीएस ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्यों के खिलाफ 4 मामले दर्ज किये थे.

बीजेपी विधायक को मिली पीएफआई की ओर से धमकी

इससे पहले, महाराष्ट्र के सोलापुर से बीजेपी विधायक को पीएफआई की ओर से धमकी मिलने की खबर सामने आई थी. जानकारी के मुताबिक, बीजेपी विधायक विजय कुमार देखमुख को जान से मारने की धमकी दी गई. विधायक ने सोलापुर पुलिस को इसकी लिखित में शिकायत दी है. पुलिस अधिकारियों ने कहा कि जल्द ही प्राथमिकी दर्ज की जाएगी. बीजेपी विधायक ने पुलिस को बताया है कि पीएफआई के सदस्यों ने उनके सिर को शरीर से अलग करने की धमकी दी है.

पीएफआई पर सरकार ने लगाया 6 साल के लिए बैन

गौरतलब है कि NIA की ओर से हाल ही में उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत ग्यारह राज्यों में कई जगहों पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के ठिकानों पर छापेमारी की गई थी. एनआईए की इस कार्रवाई का पीएफआई के नेताओं ने विरोध भी दर्ज कराया था. बाद में सरकार ने पीएफआई पर छह साल के लिए बैन लगा दिया है.

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