बेलगाम विवाद : सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे उद्धव ठाकरे, जानें महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच तनातनी की वजह
Maharashtra News Update महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बेलगाम विवाद पर एक बार फिर बड़ा बयान दिया है. उद्धव ठाकरे ने कहा है कि कर्नाटक सरकार ने जानबूझकर बेलगाम के विवादित क्षेत्र का नाम बदल दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि उस क्षेत्र में मराठी भाषी लोगों पर हो रहे अत्याचारों को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी और जब तक मामला अदालत में है, तब तक उस हिस्से को केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने की मांग की जायेगी.
Maharashtra News Update महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बेलगाम विवाद पर एक बार फिर बड़ा बयान दिया है. उद्धव ठाकरे ने कहा है कि कर्नाटक सरकार ने जानबूझकर बेलगाम के विवादित क्षेत्र का नाम बदल दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि उस क्षेत्र में मराठी भाषी लोगों पर हो रहे अत्याचारों को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी और जब तक मामला अदालत में है, तब तक उस हिस्से को केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने की मांग की जायेगी.
Despite the matter is in court, Karnataka Govt has deliberately changed name of disputed region of Belgaum. Looking at atrocities of Marathi speaking people in that area, our Govt will approach SC to declare that part as Union Territory till the matter is in court: Maharashtra CM https://t.co/FjrqjqWcHR pic.twitter.com/efApq3RkaN
— ANI (@ANI) January 27, 2021
इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक बयान में कहा था कि उनकी सरकार कर्नाटक के उन इलाकों को राज्य में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां मराठी भाषी लोगों की बहुलता है. जिसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता सिद्धारमैया ने बेलगाम विवाद के मुद्दे को उठाने को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की निंदा करते हुए ट्वीट किया था. इसमें सिद्धारमैया ने कहा कि मैं उद्धव के बयान की निंदा करता हूं. बेलगाम कर्नाटक का है और मामला सुलझा हुआ है. सीमा मामलों पर महाजन रिपोर्ट अंतिम है. कर्नाटक के लोग शांतिप्रिय हैं. इसे हमारी कमजोरी न समझें.
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में बेलगावी, जिसका पुराना नाम बेलगाम है. इस क्षेत्र को लेकर विवाद चला आ रहा है. धारवाड़ और उत्तर कन्नड़ जिले बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा थे. बॉम्बे प्रेसीडेंसी में मराठी, गुजराती और कन्नड़ भाषाएं बोलने वाले लोग रहा करते थे. आजादी के बाद राज्यों का बंटवारा शुरू हुआ, तो बेलगाम में मराठी बोलने वालों की संख्या कन्नड़ बोलने वालों की संख्या से ज्यादा थी. बेलगाम नगरीय निकाय ने 1948 में मांग की कि इसे मराठी बहुल होने के चलते प्रस्तावित महाराष्ट्र राज्य का हिस्सा बनाया जाए. तभी से दोनों प्रदेश इस सीमा विवाद में उलझे हुए हैं.
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